प्रकुलगुरु डॉ. येवले को हाईकोर्ट से मिली राहत

Vice chancellor pramod yeole have given relied by the high court
प्रकुलगुरु डॉ. येवले को हाईकोर्ट से मिली राहत
प्रकुलगुरु डॉ. येवले को हाईकोर्ट से मिली राहत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के प्रकुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले को हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ से राहत मिली है। 14 सितंबर 2016 को नागपुर उच्च शिक्षा सह-संचालक ने राज्य सरकार को डॉ. येवले के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसमें जिक्र था कि डॉ. येवले प्रकुलगुरु पद के लिए अपात्र है। इसके पहले गैर-अनुदानित महाविद्यालय के प्राचार्य थे, इसलिए बतौर प्रकुलगुरु उनका वेतन भी कम होना चाहिए। इस रिपोर्ट के खिलाफ प्रकुलगुरु ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट में डॉ. येवले के अधिवक्ता भानुदास कुलकर्णी ने दलील दी कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन सह-संचालक की रिपोर्ट के आधार पर उनसे द्वेष रखने वाले लोग विविध स्तरों पर शिकायत करके डॉ.येवले की बदनामी कर रहे हैं। लिहाजा हाईकोर्ट ने मामले के सभी पहलुओं पर गौर करते हुए सह-संचालक की रिपोर्ट पर फिलहाल स्थगन लगाया है। अब इस मामले में सुनवाई एक सप्ताह बाद रखी गई है। 

क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि डॉ. येवले को 25 जून 2015 को नागपुर विश्वविद्यालय का प्र-कुलगुरु नियुक्त किया गया था। 30 जून को उन्होंने पदभार संभाला। राज्य के तत्कालीन विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत 15 वर्ष अध्यापन का अनुभव और प्राचार्य रह चुके व्यक्ति को प्र-कुलगुरु नियुक्त किया जाता है। डॉ. प्रमोद  येवले वर्धा के औषधि निर्माण महाविद्यालय में वर्ष 1999 से प्राचार्य पद पर थे। उनके प्र-कुलगुरु बनने के बाद वेतनश्रेणी निश्चित करने के लिए उच्च शिक्षा सहसंचालक को प्रस्ताव भेजा गया। उच्च शिक्षा सहसंचालक डॉ. येवले को बढ़ी हुई वेतन श्रेणी देने से इनकार कर दिया। दलील दी कि बतौर फार्मसी शिक्षा के असिस्टेंट प्रोफेसर उनकी नियुक्ति नियमानुसार नहीं थी। लिहाजा उनकी बतौर प्राचार्य और प्र-कुलगुरु नियुक्ति भी नियमों के विरुद्ध है। इस पर सह-संचालक के निर्णय के खिलाफ डॉ. येवले ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिसमें अब उन्हें कुछ समय के लिए राहत मिली है।
 

Created On :   3 July 2019 6:06 AM GMT

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