विदर्भ में संतरा क्लस्टर को हरी झंडी, , नागपुरी संतरों की विदेशों में मांग  बढ़ी

Vidarbhas orange has again been in demand of the foreigners
विदर्भ में संतरा क्लस्टर को हरी झंडी, , नागपुरी संतरों की विदेशों में मांग  बढ़ी
विदर्भ में संतरा क्लस्टर को हरी झंडी, , नागपुरी संतरों की विदेशों में मांग  बढ़ी

डिजिटल डेस्क, वर्धा। विदर्भ का संतरा विदेशियों को फिर भाने लगा है। नागपुरी संतरा तो पहले से ही लोगों की पसंद रहा है अब अमरावती व वर्धा के संतरे भी विदेशों में पसंद किए जा रहे हैं। जिससे पहले कौड़ियों के दाम बिकनेवाला वर्धा व अमरावती जिले के संतरे की अब कुवैत बहरीन के साथ विदेशों में बिकने की राह आसान हो गई है। ऐसा प्रस्तावित कृषि निर्यात नीति में संतरे को शामिल करने से हुआ है। नागपुर, वर्धा और अमरावती क्षेत्र में संतरा क्लस्टर को केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने मान्यता दी है। प्रस्तावित कृषि निर्यात नीति में संतरे को शामिल करने के लिए  महाऑरेंज संस्था ने केंद्रीय भूपृष्ठ यातायात मंत्री  नितीन गडकरी को पत्र भेजकर की थी।  इस संदर्भ में मंत्री गडकरी ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखकर प्रस्ताव मंजूर करने की मांग की। जिसके बाद क्लस्टर को मंजूरी मिली। इससे संतरा निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ किसानों के माल को भी उचित दाम मिलने की जानकारी महाऑरेंज के श्रीधर ठाकरे ने दी। 
 

डेढ़ माह में 1 हजार 400 टन संतरा निर्यात
बता दें कि गत डेढ़ माह में लगभग 1 हजार 400 टन संतरा निर्यात किया गया है। सड़क मार्ग के जरिए बांग्लादेश संतरा अक्सर भेजा जाता रहा है।  इसके पूर्व समुद्री मार्ग से एसी कंटेनर में भरकर संतरों को श्रीलंका भेजा गया है। अमरावती जिले में 5 नई जगहों पर संतरों के लिए प्रक्रिया केंद्र शुरू किए गए हैं। किसानों को संतरों का प्रति टन 25  हजार से 35  हजार रुपए दाम मिल रहा है। बांग्लादेश में प्रतिदिन 70 टन संतरा भेजा जाता है। 
 

विदेशियों को पसंद आ रहा नागपुरी संतरा
श्रीलंका में गत वर्ष 230 टन संतरा एवं कुवैत तथा बहरीन में ट्रायल बेस पर 1 हजार 500 किलो संतरा भेजा गया। जिसके बाद वहां से मांग बढ़ी है। नागपुरी संतरों का स्वाद तथा गुणवत्ता को देखते हुए इनकी मांग बढ़ने लगी है। जिसके बाद संतरा  उत्पादक भी ग्रेडिंग पैकेजिंग की ओर ध्यान दे रहे हैं। तीन जिलो में क्लस्टर को मंजूरी मिलने के बाद संतरा नगरी में उत्पादन बढ़ने की संभावना है। वर्तमान में देखा जाए तो नींबूवर्गीय फलोत्पादनों में 9 लाख हेक्टेयर तक देश में बाग तैयार किए गए हैं। इनमें से विदर्भ में डेढ़ लाख हेक्टेयर पर संतरे की पैदावार होती है। जिसमें से 85 से 90  हजार हेक्टेयर जमीन पर लगाए गए संतरे के पेड़ बड़े होकर फल देते हैं।।  देश में प्रतिवर्ष कुल 80 लाख टन संतरों का उत्पाद होता है जिसमें से केवल अकेले विदर्भ में 8 से 9 लाख टन संतरे का उत्पादन लिया जाता है। संतरे को राजाश्रय न मिलने से संतरा पीछे आ गया था, लेकिन क्ल्स्टर में समावेश होने के बाद निश्चित ही संतरे के अच्छे दिन आने की संभावना बन गई है।  

ऐसा है संतरा क्लस्टर 
नागपुर, अमरावती व वर्धा जिले में बड़ी मात्रा में संतरे की पैदावार होती है। इन तीन जिलों का क्लस्टर में समावेश किया गया है। आनेवाले समय में यहां के किसानों को संतरा निर्याात के लिए प्रेरित करना, तकनीकी मार्गदर्शन करना, फलों की गुणवत्ता में सुधार करना, निर्यात दरों के साथ लिंकेज  करना, जैसे काम अपेडा( कृषि प्रक्रिया खाद्य अत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण), पणन मार्केटिंग बोर्ड व कृषि विभाग के साथ  समन्वय बनाकर किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार आगे बढ़ते हुए निर्यात पूरक गांवों की सूची तैयार करेगी। उपरांत गांव में अपेडा के समन्वय से काम किया जाएगा। 


 

Created On :   28 Dec 2018 7:48 AM GMT

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