11 दिसंबर को है विनायकी चतुर्थी, ऐसे करें पूजा

Vinayaki Chaturthi On December 11, Do this worship by fast
11 दिसंबर को है विनायकी चतुर्थी, ऐसे करें पूजा
11 दिसंबर को है विनायकी चतुर्थी, ऐसे करें पूजा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायक/ विनायकी चतुर्थी और संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। जो इस बार 11 दिसम्बर 2018 दिन मंगलवार को पड़ रही है। श्रीगणेश की कृपा प्राप्ति से जीवन के सभी असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। इसीलिए भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, विघ्नहर्ता यानी आपके सभी दु:खों को हरने वाले देवता। 

पुराणों के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को "वरद विनायक चतुर्थी" के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर-मध्याह्न में की जाती है। 

प्रति माह शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। यह चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। इस दिन श्री गणेश का पूजन-अर्चन करना लाभदायी माना गया है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। 

विनायक चतुर्थी कैसे करें पूजा... 
ब्रह्म मूहर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें, लाल रंग के वस्त्र धारण करें। 
दोपहर पूजन के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें। 
संकल्प के बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें। 
इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं। अब गणेश का प्रिय मंत्र- "ॐ गं गणपतयै नम:" बोलते हुए 21 दूर्वादल चढ़ाएं।
श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का ब्राह्मण को दान दें  तथा 5 लड्डू श्री गणेश के चरणों में रखकर बाकी को प्रसाद स्वरूप बांट दें।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। अपनी शक्ति हो तो उपवास करें अथवा शाम के समय खुद भोजन ग्रहण करें।
संध्या के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें। 
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें तथा "ॐ गणेशाय नम:" मंत्र की माला जपें। 

विनायकी चतुर्थी व्रत कथा
शिवपुराणके अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस बात पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अंतत: भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया।

इससे भगवती शिवा क्रोधित हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। 

माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्र पूज्य होने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। 

इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। विनायकी चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। इसके बाद स्वयं भी मीठा भोजन करें। वर्ष पर्यन्त तक श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है। 

Created On :   10 Dec 2018 6:17 AM GMT

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