जानिए विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व और पूजा विधि

जानिए विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में विनायकी गणेश चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्व है। जिस प्रकार प्रदोष तिथि को शंकर जी की और एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा की जाती है उसी तरह चतुर्थी तिथि में गणेश जी की पूजा की जाती है। विनायकी गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इस माह में यह तिथि 18 मई 2018 को है। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को "वरद विनायक चतुर्थी" के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर-मध्याह्न में की जाती है। इस दिन श्री गणेश का पूजन-अर्चन करना लाभदायी माना गया है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है।

विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत विधि

  • नारद पुराण के अनुसार वैनायकी गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान कर, गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। 
     
  • इसके बाद संपूर्ण विधि- विधान से गणेश जी की पूजा और आरती करें।
     
  • इस दिन गणेश जी को लड्डुओं का भोग लगाएं और सिंदूर चढ़ाते हुए इन मंत्रों का जाप करें-


ॐ गणाधिपायनम:। 
ॐ उमापुत्रायनम:। 
ॐ विघ्ननाशायनम:। 
ॐ विनायकायनम:। 
ॐ ईशपुत्रायनम:। 

ॐ सर्वसिद्धिप्रदायनम:। 
ॐ एकदन्तायनम:। 
ॐ गजवक्त्रायनम:। 
ॐ मूषकवाहनायनम:। 
ॐ कुमारगुरवेनम:
 

  • अंत में लड्डू को प्रसाद के रूप में बांट दें, इस दिन 5 ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है यथा संभव हो तो 5 ब्राह्मण को भोजन कराएं।


विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत फल

हिन्दू मान्यतानुसार गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, वह प्रथम पूजनीय देव हैं। विनायकी गणेश चतुर्थी का व्रत पूरे श्रद्धाभाव से रखा जाए तो वह प्रसन्न हो जाते हैं तथा व्यक्ति के सारे कष्ट हर लेते हैं। "विनायक" भगवान श्री गणेश का ही नाम है। गणेश जी की आराधना से व्यक्ति की सम्पूर्ण इच्छाएं पूरी हो जाती है तथा उसे बल- बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि, सुख-शांति आदि की प्राप्ति होती है। 

Created On :   13 May 2018 9:14 AM GMT

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