यवतमाल में बढ़ रही कुंवारी माताओं की संख्या, हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश

Virgin mothers case increase in yavatmal maharashtra
यवतमाल में बढ़ रही कुंवारी माताओं की संख्या, हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश
यवतमाल में बढ़ रही कुंवारी माताओं की संख्या, हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यवतमाल जिले में बढ़ती कुंवारी माताओं (बिन ब्याही मां) की संख्या को लेकर बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में जनहित याचिका दायर की गई थी। इस मामले में कोर्ट ने यवतमाल कलेक्टर को संबंधित कोलम समुदाय के लिए जागरुकता अभियान चलाने के आदेश दिए है।

हाई कोर्ट ने आदेश में आदिवासियों को कुंवारी माताओं की समस्या के प्रति शिक्षित और सजग बनाने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने कलेक्टर को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं और जागरुक नागरिकों को साथ लेकर बैठक आयोजित कर अभियान का प्रारूप निर्धारित करने के आदेश दिए है।

ब्याही माताओं की संख्या 400 से ऊपर

आदिवासी समाज कृति समिति और नेचुरल रिसोर्स कन्जर्वेटर्स एसोसिएशन ने जनहित याचिका में यह मुद्दा उठाया था। याचिका में कहा गया है कि यवतमाल जिले में कोलम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं। केलापुर, झरी-जामनी, मारेगांव, कलंब तहसीलों में विवाह के पहले ही मां बनने वाली युवतियों की संख्या बढ़ रही है। कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि यहां बिन ब्याही माताओं की संख्या 400 से ऊपर पहुंच चुकी है।

युवतियां अपने बच्चों को देती हैं नाना का नाम

याचिकाकर्ता के अनुसार जिले में ठेकेदारी पर बड़े पैमाने पर काम होता है। ठेकेदार कम उम्र की युवतियों को बहला-फुसला कर उनका शौषण करते हैं। एक RTI से प्राप्त जानकारी का हवाला देकर कोर्ट को बताया है कि कुंवारी मां बनने के बाद युवतियां अपने बच्चों को उनके नाना का नाम देती हैं। बच्चे के जन्म के बाद उनकी देखभाल ठीक से नहीं हो पाती। इससे वह कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।

पुर्नवसन की प्रार्थना की थी

याचिकाकर्ता ने सरकारी तंत्र पर आरोप लगाया है कि सब जानते हुए कोई ठोस कदम नहीं उठाएं जा रहे हैं। याचिका में हाईकोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस कुव्यवस्था को रोक कर इन युवतियों के पुनर्वसन की व्यवस्था की जाए। इस मामले में याचिकाकर्ता ने आदिवासी विकास विभाग सचिव, महिला व बाल विकास विभाग, प्रधान सचिव, बार्टी (बाबा साहब आंबेडकर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) संचालक, यवतमाल कलेक्टर को प्रतिवादी बनाया गया था। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वकील ईशान सहस्त्रबुद्धे ने पक्ष रखा।

Created On :   3 Aug 2017 6:06 AM GMT

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