FB डेटा लीक : क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका और इसके काम करने का तरीका, यहां पढ़ें..

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FB डेटा लीक : क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका और इसके काम करने का तरीका, यहां पढ़ें..
FB डेटा लीक : क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका और इसके काम करने का तरीका, यहां पढ़ें..

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पांच करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा का दुरुपयोग करने की आरोपी फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका को लेकर दुनिया भर में खलबली मच गई है। इस फर्म के कारण फेसबुक कंपनी तो विवादों में आई ही है, साथ ही इस फर्म से कनेक्शन को लेकर तमाम देशों में बहस तेज हो गई है। भारत में भी इस डेटा फर्म से कनेक्शन पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। फर्म पर आरोप हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोटर्स की राय को मैन्यूपलेट करने के लिए कंपनी ने फेसबुक यूजर्स डेटा में सेंध लगाई थी। हालांकि बेहद कम लोग जानते हैं कि यह फर्म किस तरह से यूजर्स के डेटा को इस्तेमाल करती है। जानिए कैम्ब्रिज एनालिटिका क्या है और यह कैसे काम करती है।

क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका
कैम्ब्रिज एनालिटिका ब्रिटेन की एक डेटा एनालैसिस फर्म है। यह करीब 500 अरब डॉलर की कंपनी है। कैम्ब्रिज एनालिटिका एक सरकारी और सैन्य ठेकेदार SCL ग्रुप का हिस्सा है, जो खाद्य सुरक्षा अनुसंधान से लेकर राजनीतिक मसलों पर काम करता है।  खासकर कंपनी को चुनावी डेटा खंगालने और उसका विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है। कैम्ब्रिज एनालिटिका राजनीतिक और कॉर्पोरेट कस्टमर्स को उपभोक्ता अनुसंधान से लेकर, लक्ष्य आधारित ऐडवर्टाइजिंग और अन्य डेटा-संबंधित सेवाएं देती है। इस कंपनी के कई जगहों पर ऑफिस हैं, जिनमें न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, लंदन, ब्राजील और मलेशिया शामिल हैं।

क्यों लग रहे हैं काम करने के तरीके पर आरोप
कैम्ब्रिज एनालिटिका डेटा एनालैसिस की सफलतम फर्मों में से एक हैं। 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित जीत का श्रेय भी कैम्ब्रिज एनालिटिका को दिया जाता है। फर्म की वेबसाइट पर उसके तमाम अचीवमेंट मौजूद हैं। हालांकि अब उसके काम करने के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं। फर्म पर डेटा चोरी, डेटा का दुरुपयोग और फेक न्यूज का रास्ता अपनाकर अपना टार्गेट पूरा करने के आरोप लगे हैं।

फर्म पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि उसने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारियों को अवैध तरीके से हासिल किया और फिर यूजर्स की पसंद-नापसंद के आधार पर कैंपेनिंग की। साथ ही वोटर्स की राय को मैनिप्युलेट करने का भी काम किया। बता दें कि इन आरोपों के बाद कंपनी ने अपने चीफ एक्जीक्यूटिव अलेक्जेंडर निक्स को सस्पेंड कर दिया है।

यह भी कहा जा रहा है कि यह फर्म मतदाताओं की साइकोलॉजिकल प्रोफाइल बनाती है, जिससे चुनावों में इसके क्लाइंट को मदद मिलती है। साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग के द्वारा सबसे पहले लोगों के राजनीतिक रुझान और अन्य तरह की रुचियों का पता लगाया जाता है और फिर जिस भी पार्टी के लिए उसे लोगों को प्रभावित करना है, उस पार्टी के पक्ष में उस तरह की खबरों या सूचनाओं को भेजती है जो उस व्यक्ति के रुझान से मेल खाता हो। ये खबरें झूठी, सच्ची या आधी-अधूरी भी हो सकती हैं।

भारत में क्यों मचा है बवाल
भारत में कैंब्रिज एनालिटिका की पार्टनर कंपनी ओवलीनो बिजनेस इंटेलीजेंस (ओबीआई) है, जो यहां एनालिसिस का काम देखती है। भारत में इसे जेडीयू नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी संभालते हैं। ओबीआई के अनुसार, बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू उसके क्लाइंट रहे हैं। बीजेपी ने कैम्ब्रिज एनालिटिका से कांग्रेस के कनेक्शन का दावा किया। बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस डेटा फर्म की मदद ले रही है। सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी के प्रति बदलते रूख और राहुल के बढ़ते फॉलोअर्स को भी इस फर्म की देन बताया जा रहा है। उधर कांग्रेस का कहना है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका की क्लाइंट कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी है। 2010 के बिहार चुनाव में बीजेपी ने इस एजेंसी की सेवाएं ली थीं। उस समय बीजेपी का जेडीयू के साथ गठबंधन था।

Created On :   22 March 2018 12:30 PM GMT

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