बोर अभयारण्य के वन्यजीव शहरों की तरफ आने लगे, संघर्ष की स्थिति का खतरा

Water crisis : Animals of the Bore Sanctuary are facing to city
बोर अभयारण्य के वन्यजीव शहरों की तरफ आने लगे, संघर्ष की स्थिति का खतरा
बोर अभयारण्य के वन्यजीव शहरों की तरफ आने लगे, संघर्ष की स्थिति का खतरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हिंगना तहसील तथा नागपुर-वर्धा जिले की सीमा पर स्थित बाेर अभयारण इन दिनों फिर सुर्खियों में है। बोर धरण में पानी का लेवल बहुत कम हो गया है और जंगल में पानी के अनेक स्रोतों के सूख जाने से वन्य प्राणियों की हलचल बाहर की ओर तेज होने लगी है। अंदेशा सताने लगा है कि ऐसी में वन्यजीव और मानव के बीच फिर हिंसक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा, वन विभाग ने वन्यप्राणियों को बचाने के लिए उपाय योजना शुरू की है। कृत्रिम वॉटर होल में टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है। 

क्षेत्र पहाड़ी और पथरीला
बोर अभयारण 138 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण का क्षेत्र पहाड़ी और पथरीला होने से पानी के स्रोत काफी कम हैैं। इस साल बोर नदी में बाढ़ नहीं आने और कम बारिश के चलते बोर धरण में पानी की काफी कमी है। मार्च के अंतिम सप्ताह में ही धरण में पानी का लेवल काफी कम हो गया था।
यह वन्यप्राणी हैं यहां : बोर अभयारण्य में बाघ, बिबट्या, भालू, हिरण, सांभर, जंगली सुअर, मोर, नील गाय, लोमड़ी, खरगोश आदि वन्यप्राणियों का समावेश है। यह सभी प्राणी बोर धरण के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं। 

उपाय योजना पर ध्यान 
वन्यप्राणियों को पानी की किल्लत न हाे, इसलिए वन्यजीव विभाग की ओर से मार्च महीने से ही अभयारण के 20 कृत्रिम वॉटर होल बनाकर टैंकरों पानी आपूर्ति की जा रही है। इस कृत्रिम वॉटर होल्स पर वनविभाग के कर्मचारियों का ध्यान रहता है। दो दिन बाद टैंकर से इन वॉटर होल में पानी की आपूर्ति की जाती है। अप्रैल, मई और जून माह में वॉटर होल्स का पानी वन्यप्राणियों को कम पड़ेगा, ऐसे मंे उन्हें अपनी प्यास बुझाने के लिए कहीं दर-दर भटकना ना पड़ेे, इस पर वन विभाग ध्यान दे रहा है।

भीषण गर्मी में गांवों का रुख
भीषण गर्मी में बोर अभयारण्य के वन्यप्राणी पानी के लिए गांवों की ओर दौड़ लगा सकते हैं और तब संबंधित गांवों के लोग खतरे में आ सकते हैं। वन्यप्रेमियों का कहना है कि भीषण गर्मी में वन्यप्राणियों के लिए नियमित पानी आपूर्ति की ओर वनविभाग को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

मवेशियों को बनाते हैं शिकार
बोर अभयारण्य तथा हिंगना के जंगलों में स्थित वन्यप्राणी जंगल के समीप खेतों में मवेशियों का आए दिन शिकार करते हैं। इस साल इस प्रकार की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि पानी नहीं मिलने पर वन्यप्राणी पानी की तलाश में निकलते हैं और खेतों में पानी पीने के बाद आराम करते हैं। साथ ही वहीं गाय, भैंस, बकरी आदि मवेशियों का शिकार करते हैं। ऐसी कई घटनाएं हिंगना तहसील में पहले भी हो चुकी हैं।  

और इधर...घात में शिकारी
गर्मी के मौसम में पानी की तलाश में निकले वन्यप्राणी, जैसे हिरण, सांभर, खरगोश, मोर आदि आसानी शिकारियों के जाल में फंस रहे हैं, ऐसी चर्चा है। हिंगना के जंगल से सटे शेष नगर, डेगमा आदि पठारी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं होने की चर्चा है। यहां किए गए शिकार का मांस चोरी छिपे हिंगना तक बेचे जाने की भी जानकारी सूत्रों से मिली है। शिकारी शिकार कर सबूत मिटा देते हैं, जिसके चलते वन विभाग को पता ही नहीं चलता। 
 

Created On :   25 April 2019 6:35 AM GMT

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