HMS के आरोप - गलत नीतियों से वेकोलि को 2 वर्षों में 4000 करोड़ का घाटा

WECOLI suffers from 4000 crore rupees lost due to bad policies : HMS
HMS के आरोप - गलत नीतियों से वेकोलि को 2 वर्षों में 4000 करोड़ का घाटा
HMS के आरोप - गलत नीतियों से वेकोलि को 2 वर्षों में 4000 करोड़ का घाटा

डिजिटल डेस्क, परासिया/छिंदवाड़ा। वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड अब सरकारी नीतियों के चलते दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है। पिछले 2 वर्षों अर्थात वर्ष 2015-16 तक मुनाफे में चल रही वेकोलि करीब 4,000 करोड़ रुपए के घाटे में आ गई है। इसका दुष्प्रपरिणाम छिंदवाड़ा जिले के कोयलांलच पेंच और कन्हान क्षेत्र को भी भुगतना पड़ रहा है। कोयला श्रमिक संगठन (एचएमएस) के अध्यक्ष शिवकुमार यादव और उपाध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने यह मामला उठाकर वेकोलि की नीतियों में बदलाव करने मांग की है।

पावर प्लांट्स को लाभ पहुंचाने से बिगड़ी स्थिति
HMS का आरोप है कि सरकार ने जनता को सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने के लिए निजी कम्पनियों को भी सस्ते दामों में कोयला सप्लाई करने का नियम वेकोलि पर थौपा है। जो कोयला नीलामी में 2,700 रुपए से लेकर 5,000 रुपए प्रति टन के भाव से निजी पावर प्लांट्स द्वारा खरीदा जाता था, उसे भी वेकोलि को 1,078 रुपए प्रति टन के भाव से देने को बाध्य होना पड़ा है। वर्ष 2016-17 में वेकोलि को 1,075.51 करोड़ की हानि हुई और वर्ष 2017-18 में यह हानि 2,829.28 करोड़ तक पहुंच गई। दो वर्ष में कुल 3,904.79 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, उसके पूर्व वर्ष 2014-15 में वेकोलि 544 करोड़ और 2015-16 में 394 करोड़ रुपए के लाभ में रही है।

6 माह बंद किए विद्युत प्रकल्प
वेकोलि में HMS उपाध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी कहते हैं कि वेकोलि ने 2016-17 में 6 महीने के लिए अनेक विद्युत प्रकल्पों को बंद किया। इसके कई बहाने बनाए गए। कभी बिजली की डिमांड कम होना बताकर यूनिट बंद किए गए, कभी कहा कि सरकारी प्लान्ट्स में बिजली की कास्ट 4.42 रुपए यूनिट पड़ रही है। वेकोलि करार के अनुसार सरकारी प्रकल्पों को 80 फीसदी बिजली 1,078 रुपए टन के भाव से सप्लाई करती थी। उसे 20 फीसदी कोयला ओपन नीलामी का अधिकार था। वेकोलि को ग्रेड के हिसाब से इस कोयले का भाव 2,700 से लेकर 5,000 रुपए टन तक निजी कम्पनियों से मिलता रहा है, लेकिन अब नियम बना दिया गया कि निजी कम्पनी को भी 1,078 रुपए टन के भाव से ही दें। निजी कम्पनियों पर मेहरबानी करने के लिए यह नियम बदला और वेकोलि घाटे वाली कम्पनी की श्रेणी में शामिल हो गई।

नवंबर तक पूरा करना होगा घाटा
HMS के अनुसार दो वर्षों में वेकोलि को करीब 4,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। जिसे आगामी नवंबर तक कवर नहीं किया, तो केन्द्र सरकार वेकोलि को दिवालिया घोषित कर सकती है। वेकोलि की सारी खदानें बंद कर यहां कार्यरत करीब 42,000 वर्करों को दूसरी सरकारी कोल लिमिटेड की आय के भरोसे वेतन आदि दिया जाएगा। जिससे पेंच और कन्हान क्षेत्र के कामगारों पर भी स्थानांतरण की तलवार लटकने लगेगी।

Created On :   13 Aug 2018 8:17 AM GMT

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