क्या होता है बुधादित्य योग, जानिए कुंडली के हर भाव में इसका फल

What is Budha Aditya yoga, and how does it affects ones Life?
क्या होता है बुधादित्य योग, जानिए कुंडली के हर भाव में इसका फल
क्या होता है बुधादित्य योग, जानिए कुंडली के हर भाव में इसका फल

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में तो सूर्य ही सबसे प्रधान ग्रह है। चराचर जगत में सूर्य का ही प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। सूर्य पाप ग्रह न होकर क्रूर ग्रह है। क्रूर एवं पापी में बड़ा अंतर होता है। क्रूर तो शुभ-अशुभ सभी कार्यों में रूखापन दिखाते हुए लक्ष्य में पवित्रता बनाए रखता है लेकिन पापी भाव अच्छा नहीं माना जाता है। बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट है और इसीलिए उसका पुरुषत्व समाप्त हो गया है। इसलिए बुध जिस भी ग्रह के साथ होता है उसका बल बढ़ा देता उसका स्वयं का कोई बल नहीं होता लेकिन बुध अपना प्रभाव अन्य ग्रहों के सान्निध्य की अपेक्षा सूर्य के साथ होने पर विशेष फल प्रदान करता है। जिसे ज्योतिष में बुधादित्य योग कहा जाता है और इस योग के अलग-अलग भाव में अलग-अलग फल होता है। आइये आपको बताते है ये योग किस भाव में क्या फल देता है।

1 - प्रथम भाव लग्न में हो तो मान, सम्मान, प्रसिद्धि, व्यवसायिक सफलता तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है। जातक का कद माता-पिता के बीच का होता है। यदि वृष, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, राशि लग्न में हो तो लंबा कद होता है। जातक का स्वभाव कठोर तथा वात-पित्त-कफ से पीड़ित होता है। जातक को बाल्यावस्था में कान, नाक, आंख, गला, दांत आदि का कष्ट झेलना पड़ता है। स्वभाव से वीर, क्षमाशील, कुशाग्र बुद्धि, उदार, साहसी,स्वाभिमानी एवं आत्मसम्मानी होता है। स्त्री जातक में प्राय: चिड़चिड़ापन तथा बालों में भूरापन भी देखा जाता है।

2- द्वितीय भाव में यदि बु‍धादित्य योग हो तो जातक को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, सुखी वैवाहिक जीवन तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है। ये जातक को तार्किक अभिव्यक्ति बनाता है, लेकिन व्यवहार में शून्यता-सी झलकती है। कई अभियंताओं, घूसखोरों एवं ऋण लेकर तथा दूसरों के धन से व्यवसाय करने वाले या दूसरों की पुस्तकें लेकर अध्ययन करने वाले लोगों के लिए स्थिति प्राय: बनी हुई होती है।

3- तृतीय स्थान पर यदि बुधादित्य योग हो तो जातक को बहुत अच्छी रचनात्मक क्षमता प्रदान कर सकता है। जिसके चलते ऐसे जातक रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त तीसरे घर का बुधादित्य योग जातक को सेना अथवा पुलिस में किसी अच्छे पद की प्राप्ति भी करवा सकता है। जातक स्वयं परिश्रमी होता है तथा भाई-बहनों में आत्मीय स्नेह नहीं पा सकता। मौसी को कष्ट रहता है तथा भाग्योदय के अनेक अवसर खो देता है। ये जातक को नौकरी तथा व्यवसाय अवश्य प्रदान करवाता है, लेकिन पारिवारिक खुशहाली में बाधक होता है। तृतीय स्थान के बुधादित्य योग को अधिकतर ग्रंथ श्रेष्ठ मानते हैं। वैसे 70 प्रतिशत जन्मांग चक्रों के अनुसार यह योग आज के युग में श्रेष्ठ नहीं माना जाता है।

4- चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग मनुष्य को जातक को सुखमय वैवाहिक जीवन, ऐश्वर्य, रहने के लिए सुंदर तथा सुविधाजनक घर, वाहन सुख तथा विदेश भ्रमण आदि जैसे शुभ फल प्रदान कर सकता है। आशातीत सफलता प्रदान करने वाला होता है। संस्था प्रधान, तार्किक बुद्धि, कुलपति, प्रोफेसर, इंजीनियर, सफल राजनेता, न्यायाधीश या उच्च कोटि का अपराधी भी बना देता है। माता का स्वास्थ्य चिंताजनक बना रहता तथा पत्नी के भाग्य का सहारा मिलता है। अपनी स्थायी संपत्ति होते हुए भी दूसरों या सरकारी वाहनों, भवनों का उपयोग करने वाला तथा विपरीतलिंग मित्रों का सहयोग एवं प्रेम प्राप्त करने वाला होता है।

5- पंचम भाव में यह बुधादित्य योग जातक को बहुत अच्छी कलात्मक क्षमता, नेतृत्व क्षमता तथा आध्यातमिक शक्ति प्रदान कर सकता है। जिसके चलते ऐसा जातक अपने जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है। साथ ही अल्प (कम) संतान लेकिन प्रतिभा संपन्न संतान प्रदान करवाता है। चित्त में उद्विग्नता वात रोग एवं यकृत विकार की प्रबल संभावना बन जाती है। घर में भाभी या बड़ी बहन से वैचारिक मतभेद होते हैं। मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन राशि में यह योग अल्प संतान प्रदाता होता है। स्त्री ग्रहों से दृष्ट होने पर कन्या संतान की अधिकता संभव होती है।

6- छठे भाव में ये बुधादित्य योग हो तो जातक को एक सफल वकील, जज, चिकित्सक, ज्योतिषी आदि बना सकता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक अपने व्यवसाय के माध्यम से बहुत धन तथा ख्याति अर्जित कर सकते हैं। शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाओं से चिंतायुक्त होते हुए भी आत्मविश्वास बना रहता है। और मामा पक्ष से बचपन में लाभ मिलता है, लेकिन आवश्यकता पड़ती है तो सहयोग नहीं मिल पाता है।

7- सप्तम भाव में बुधादित्य योग हो तो जातक के वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकता है तथा यह योग जातक को सामाजिक प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वाला कोई पद भी दिला सकता है। शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाओं से चिंतायुक्त होते हुए भी आत्मविश्वास बना रहता है। सप्तम भाव में बुधादित्य योग जातक को यौन रोगों को देने वाला तथा अत्यंत कामी बनाता है और समय एवं परिस्थिति को ध्यान में रखकर धन उत्पन्न करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने जीवनसाथी की उपेक्षा कर दूसरों की ओर विशेष आकर्षित होने वाले होते हैं लेकिन कभी भी अंतरंग संबंधों में नहीं बंध पाते हैं। सप्तम के बुधादित्य योग वाले प्राय: चिकित्सक, अभिनेता,निजी सहायक, रत्न व्यवसायी, समाजसेवा एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध होते हैं। सिंह या मेष राशि सप्तम में हो तो एकनिष्ठ होते हैं। शुभ ग्रहों की दृष्टि एवं सान्निध्य इन योगों में बड़ा भारी परिवर्तन भी कर देता है।

8- अष्टम भाव में यदि बु‍धादित्य योग हो तो जातक को किसी वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त करवा सकता है तथा यह योग जातक को आध्यात्म तथा परा विज्ञान के क्षेत्रों में भी सफलता प्रदान कर सकता है। जातक को परमार्थ करने की आदत होती है और किसी को सहयोग करने के चक्कर में वह स्वयं उलझता जाता है। दुर्घटना में पैर, हाथ, गाल, नाखून एवं दांत पर चोट का भय बना रहता है। विदेशी मुद्रा से व्यापार, किडनी स्टोन, आमाशय में जलन तथा आंतों में विकार भी इस योग का परिणाम बन जाता है।

9- नवम स्थान पर बुधादित्य योग जातक को उसके जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्रदान कर सकता है तथा इस योग के शुभ प्रभाव में आने वाले जातक सरकार में मंत्री पद अथवा किसी प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था में उच्च पद भी प्राप्त कर सकते हैं। यह योग स्वाभिमानी के साथ-साथ अहंकारी बना देता है तथा प्रारंभ में कई शुभ अवसरों का परित्याग जातक को बड़े भारी पश्चाताप का कारण बनता जाता है।

10- दशम भाव में बुधादित्य योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में सफलता प्रदान कर सकता है तथा ऐसा जातक अपने किसी अविष्कार, खोज अथवा अनुसंधान के सफल होने के कारण बहुत ख्याति भी प्राप्त कर सकता है। यह योग बुद्धिमान, धन कमाने में चतुर, साहसी एवं संगीत प्रेमी बनाता है। पुत्र-पौत्रादि सुख से संपन्न किन्तु एक संतान से चिंतित भी बनाता है। धार्मिक स्थानों का निर्माण एवं बड़ी ख्याति प्रदान कराता है।

11- ग्यारहवें भाव में यदि बुधादित्य योग हो तो जातक को बहुत मात्रा में धन प्रदान कर सकता है तथा इस प्रकार के बुध आदित्य योग के कारण जातक सरकार में मंत्री पद अथवा कोई अन्य प्रतिष्ठा अथवा प्रभुत्व वाला पद भी प्राप्त कर सकता है। यशस्वी, ज्ञानी, संगीत विद्या प्रिय, रूपवान एवं धनधान्य से संपन्न करवाता है। लोकसेवा के लिए सरकार एवं अनेक प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति भी होती है।

12- द्वादश भाव में बुधादित्य योग हो तो जातक को विदेशों में सफलता, वैवाहिक जीवन में सुख तथा आध्यात्मिक विकास प्रदान कर सकता है। चाचा-ताऊ से विरोध करवाता है तथा अपनी संपत्ति उनके चंगुल में फंस जाती है। जुआ, सट्टा, शेयर या अन्य आकस्मिक धन-लाभ के व्यवसायों में फंसकर अपना सर्वस्व लुटा देता है। एवं अवसाद में डूबकर किसी प्रकार के व्यसन (नशे की लत) को अपना लेता है।

नोट:- बुधादित्य योग को राशि एवं अन्य ग्रहों के संबंध भी प्रभावित करते हैं किन्तु यदि अलग-अलग भावों में एकाकी हो तो ऐसा ही फल प्रदान करता है।

Created On :   20 July 2018 10:18 AM GMT

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