कुंभ, अर्ध कुंभ और सिंहस्थ में क्या है अंतर?

What is the difference between kumbh, ardh Kumbh and Simhastha
कुंभ, अर्ध कुंभ और सिंहस्थ में क्या है अंतर?
कुंभ, अर्ध कुंभ और सिंहस्थ में क्या है अंतर?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बारहा वर्ष में चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है। कुम्भ,अर्ध कुम्भ और सिंहस्थ क्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है। उज्जैन, हरिद्वार, प्रयागराज, फिर नासिक में कुंभ मेले का आयोजन होता है। जिसमे उज्जैन के कुंभ को सिंहस्थ कहा जाता है। नक्षत्रों, ग्रहों और राशियों के संयोग से इस कुम्भ यात्रा का योग 6 और 12 वर्षो में इन स्थानों पर बनता है। अर्ध कुम्भ का पर्व केवल, प्रयाग और हरिद्वार में ही मनाया जाता है। ग्रह और राशियों के संगम के अनुसार इन स्थानों पर स्नान करना मोक्ष दायी माना जाता है। नक्षत्रों, ग्रहों और राशियों के संयोग से इस कुम्भ यात्रा का योग 6 और 12 वर्षो में इन स्थानों पर बनता है। ग्रह और राशियों के संगम के अनुसार भी इन स्थानों पर स्नान करना मोक्ष दायी माना जाता है। आइए जानते है कि कुंभ, अर्ध कुम्भ और सिंहस्थ क्या है?

 

कुंभ क्या है?

कलश को कुंभ कहा जाता है। कुंभ का अर्थ होता है घड़ा। इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन के समय अंत में निकले अमृत कलश से जुड़ा है। देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जहां जब ये बूंदें गिरी थी उस स्थान पर तब कुंभ का आयोजन होता है। उन तीन नदियों के नाम है:- गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा।

 

अर्ध कुंभ क्या है?

अर्ध का अर्थ है आधा। हरिद्वार और प्रयाग इन दोनों स्थानों पर छह-छह वर्षों में दो कुंभ पर्वों के अंतराल में अर्ध कुंभ का आयोजन किया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ एवं अर्ध कुंभ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण दिया गया है। कुंभ पर्व हरिद्वार से शुरू होता है। हरिद्वार के बाद कुंभ पर्व प्रयाग नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है। प्रयाग और हरिद्वार में मनाए जानें वाले कुंभ पर्व में एवं प्रयाग और नासिक में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व के बीच में तीन वर्षों का अंतर होता है। 

 

सिंहस्थ क्या है? 

सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से होता है। सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर उज्जैन में कुंभ मैले का आयोजन होता है। इसके साथ सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुंभ पर्व का आयोजन गोदावरी के तट पर नासिक में होता है। इसे महाकुंभ कहा जाता हैं, क्योंकि यह योग 12 वर्ष बाद ही आता है। 

Created On :   11 Jan 2019 5:31 AM GMT

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