जब सोनिया गांधी की चीख से गूंज उठा था दस जनपथ; राजीव की पुण्यतिथि पर विशेष

when 10 Janpath was echoed by screaming of sonia
जब सोनिया गांधी की चीख से गूंज उठा था दस जनपथ; राजीव की पुण्यतिथि पर विशेष
जब सोनिया गांधी की चीख से गूंज उठा था दस जनपथ; राजीव की पुण्यतिथि पर विशेष

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यह खबर उनके लिए हृदयविदारक थी। इसने उन्हें सर से पांव तक झकझोर कर रख दिया था। आमतौर पर शांत रहने वाली सोनिया गांधी उस ख़बर को सुनने के बाद एकदम टूट गई थीं। वह बेतहाशा चीख-चीख कर रो रही थीं। उनकी आवाज इतनी तेज़ थी कि बाहर के गेस्ट रूम में बैठे कांग्रेस नेता भी उनका रोना सुन कर चौंक उठे। यह घटनाक्रम 21 मई 1991 की काली रात का है, जब तमिलनाडु में चेन्नई से लगभग 40 किमी दूर स्थित श्रीपेरंबुदूर की एक रैली में राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी। सोनिया गांधी की जीवनी में भी इसका जिक्र है। राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर प्रस्तुत हैं इस किताब के कुछ प्रसंग। 

एक फोन ने दिल्ली में उड़ाए सबके होश 
श्रीपेरंबदूर में हुए धमाके के बाद चेन्नई से एक अनजान व्यक्ति ने दिल्ली फोन कॉल की। फोन करने वाले व्यक्ति ने आग्रह किया कि वह राजीव गांधी के निजी सचिव या सोनिया गांधी से ज़रूरी बात करना चाहता है। उसके फोन को जॉर्ज ने रिसीव किया। उसकी व्यग्रता देख कर जॉर्ज को आशंका हुई। उन्होंने उससे पूछा कि वह कौन है और राजीव गांधी कैसे हैं? जॉर्ज की उस बात का अगले कुछ समय तक  दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं आया। इस खामोशी ने जॉर्ज को बुरी तरह परेशान कर दिया। उन्होंने घबराई आवाज़ में कहा कि तुम बताते क्यों नहीं कि राजीव कैसे हैं? फोन करने वाले शख्स ने दूसरी ओर से जवाब दिया कि सर वह अब इस दुनिया में नहीं रहे। इतना कहने के बाद फोन कट गया। जिस शख्स ने यह सूचना दी थी वह खुफिया विभाग का एक अधिकारी था। इतना सुनते ही जॉर्ज के हाथ-पैर फूल गए। बदहवासी की हालत में वह कुछ देर वहीं खड़े रहे। 

सोनिया ने पूछा इज ही अलाइ 
कुछ देर बाद जब वह होश में आए तो राजीव गांधी के विशेष सचिव चिल्लाते हुए 10 जनपथ में अंदर की तरफ भागे। वह बदहवास थे और उनके मुंह से ठीक से आवाज नहीं निकल रही थी। सोनिया उन्हें इस तरह बदहवासी में दौड़ते देख कर चौंक पड़ीं। किसी अनहोनी की आशंका से वह बाहर की ओर दौड़ीं उन्हें चिल्लाते सुनकर सोनिया गांधी बाहर की तरफ दौड़ीं। उन्होंने जार्ज से पूछा कि क्या बात हो गई। जॉर्ज किसी तरह अपने को संभाल कर बोले मैडम चेन्नई में बम धमाका हुआ है। सोनिया को पता था कि राजीव उस समय चेन्नई में ही सभा कर रहे हैं। बम धमाके और राजीव के वहां होने से जोड़ कर वह बेहद घबरा गईं। उन्होंने पूछा "इज ही अलाइव"? इसके जवाब में जॉर्ज कुछ नहीं बोले। सोनिया को जॉर्ज की चुप्पी में अपने सवाल का जवाब मिल चुका था। वह हतप्रभ जहां थीं, वहीं बैठ गईं। इसके बाद बहुत देर बाद तक वहीं सन्नाटा पसरा रहा। जॉर्ज और सोनिया दोनो एक दूसरे को एकटक देख रहे थे। जॉर्ज सोनिया की स्थिति की कल्पना कर सिहर रहे थे तो सोनिया सोच रही थीं कि जॉर्ज कह दें कि राजीव जीवित हैं। 

फिर सोनिया की चीख से गूंज उठा था 10 जनपथ 
काफी देर तक जब दोनों के बीच की खामोशी नहीं टूटी तो सोनिया अनहोनी की आशंका से कांप उठीं। उन्होंने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। उनकी चीख सुनकर धीरे-धीरे वहां कांग्रेसी नेताओं का जमावड़ा लगने लगा। तीव्र वेदना से गुजर रही सोनिया को इसी समय अचानक अस्थमा का दौरा उठा तो वह दुख और दौरे से बुरी तरह बेहाल हो गईं। प्रियंका गांधी दौड़ते हुए उनके लिए दवा खोजने में जुट गईं। हर कोई दुख से बेहाल सोनिया को सांत्वना देने की कोशिश में जुट गया। सोनिया की दुनिया पूरी तरह से उजड़ चुकी थी। 10 जनपथ अब पूरी तरह सन्नाटे में डूब चुका था। 

कुछ यूं शुरू हुई  थी राजीव-सोनिया की प्रेम कहानी 
सोनिया गांधी इस समय भारतीय राजनीति का केंद्रीय चेहरा हैं। इटली के एक छोटे से गांव से निकल कर भारत के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बहू बनने तक की सोनिया गांधी की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम रोचक नहीं है। सोनिया गांधी का असली नाम एन्‍टोनिया मैनो है। सोनिया का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के ट्यूरिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित लूसियाना गांव में हुआ। सोनिया का भारत से रिश्ता राजीव रोमांस से शुरू होता है। 

रेस्टोरेंट में हुई उनकी पहली मुलाकात 
सोनिया और राजीव गांधी की पहली मुलाकात सन 1965 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रेस्टोरेंट में हुई थी। एक दिन राजीव रेस्टोरेंट में अपने एक दोस्त एलेक्सिस के इंतजार में राउंड टेबल पर अकेले बैठे थे, तभी उनकी मुलाकात पहली बार सोनिया गांधी से हुई थी। पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच प्यार हो गया। 

रेस्टोरेंट में काम करती थीं सोनिया 
सोनिया गांधी कैंब्रिज में पढ़ाई के साथ-साथ रेस्टोरेंट में पार्ट टाइम काम भी करती थीं। राजीव गांधी से मिलने के बाद सोनिया उन्हें अपना दिल दे बैठी थीं। जिसके बाद उन्होंने अपने परिवार को राजीव के बारे में एक खत के जरिए बताया। जब बात शादी की आई तो सोनिया के घरवाले शादी के खिलाफ हो गए। घर वालों के विरोध की वजह यह थी कि राजीव प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे थे, जबकि सोनिया एक साधारण परिवार से संबंध रखती थीं। लेकिन चूंकि उनके प्यार में गहराई थी, इस लिए दोनों परिवार अंततः विवाह के लिए राजी हो गए। 

सोनिया पहली बार 1968 में आईं थी भारत 
सोनिया गांधी पहली बार भारत 1968 में आईं थी। उस समय इंदिरा गांधी भारत की पीएम थी, तो शादी से पहले सोनिया को अपने घर में रखना विरोधियों को मौका देने के समान था। इसलिए सोनिया गांधी के रहने का इतंजाम अमिताभ बच्चन के घर में किया गया था। बच्चन परिवार के नेहरू-गांधी परिवार से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। राजीव और अमिताभ बचपन के मित्र रहे हैं। यही वजह रही कि जब उन्हें रोकने की बात आई तो सोनिया को उनके ही घर में रोका गया।  

राजनीति में नहीं आना चाहती थीं सोनिया 
राजीव गांधी और सोनिया गांधी की जिंदगी के शुरुआती 13 साल कई उतार-चढ़ाव भरे रहे। पहले 1980 में एक विमान दुर्घटना में देवर संजय गांधी की मौत, उसके चार साल बाद सास और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और फिर सात साल बाद पति और प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से वह पूरी तरह से टूट गई थीं। इसके बाद उन्होंने राजनीति से पूरी तरह दूरी बना ली। कांग्रेस की राजनीति से नेहरू-गांधी परिवार के बाहर आने के बाद कांग्रेस का राजनीतिक वजूद बुरी तरह सीमित होता गया। बहुत सारे आंतरिक प्रयोगों के बाद पार्टीजनों ने अंततः पाया कि इस परिवार को केंद्र में रखे बिना पार्टी का कोई भविष्य नहीं है। इसके बाद कांग्रेस नेताओं के आग्रह पर सोनिया गांधी 1997 में दोबारा कांग्रेस की कमान संभाल ली। 

 

Created On :   20 May 2018 7:15 AM GMT

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