फुलैरा दूज शुक्रवार को , इस त्यौहार से जुड़ा है ये पर्व

फुलैरा दूज शुक्रवार को , इस त्यौहार से जुड़ा है ये पर्व
फुलैरा दूज शुक्रवार को , इस त्यौहार से जुड़ा है ये पर्व
फुलैरा दूज शुक्रवार को , इस त्यौहार से जुड़ा है ये पर्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फुलैरा दूज होली के त्यौहार से जुड़ा एक अनुष्ठान रुपी पर्व है। इस दिन से होली के पर्व का आरम्भ हो जाता है और यह पर्व मध्य, उत्तर और पश्चिम भारत में मुख्य रूप से मनाया जाता है। हिंदी विक्रमी सम्वत पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है, जो ईस्वी सन के अनुसार इस बार 8 मार्च 2019 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

इस दिन वृंदावन और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में, ऐसा माना जाता है कि फुलैरा दूज का यह पूरा दिन ही शुभ है और इसलिए ज्योतिषी और पंडितों से पूजा के लिए शुभ समय पता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके इस विशेष गुण के कारण, कुछ समुदायों के द्वारा विवाह करने के लिए यह दिन चुना जाता है।

घरों में रंगोली सजाई जाती है
इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में संध्या के समय घरों में रंगोली सजाई जाती है। इसे घर में होली रखना कहा जाता है। होली आने वाली है इसलिए खुशियां मनाई जाती हैं। जब खेतों में सरसों के पीले फूलों की मनभावन महक उठने लगे। जहां तक नजर जाए दूर-दूर तक केसरिया क्यारियां ही क्यारियां नजर आएं। शरद की कड़ाके की ठंड के बाद सूरज की गुनगुनी धूप तन और मन दोनों को प्रफुल्लित करने लगे। खेतों की हरियाली और जगह-जगह रंगबिरंगे फूलों को देखकर मन-मयूर नृत्य करने लगे तो समझो बंसत ऋतु अपने चरम पर होता है।

बचपन से युवा अवस्था में कदम रखने वाले अल्हड़ युवक-युवतियां इस मौसम की मस्ती में पूरी तरह से डूब जाना चाहते हैं। किसानों की फसल खेतों में जैसे-जैसे पकने की ओर बढ़ने लगती है। तभी रंगों भरा होली का त्योहार आ जाता है। दूज के दिन किसान घरों के बच्चे अपने खेतों में उगी सरसों, मटर, चना और फुलवारियों के फूल तोड़कर लाते हैं। इन फूलों को भी घर में बनाई गई होली यानी रंगोली पर सजाया जाता है।

यह आयोजन उत्तर भारत के कई राज्यों के कई इलाकों में फुलेरा दूज से होली के ठीक एक दिन पहले तक लगातार होता रहता है। होली वाले दिन रंगोली बनाए जाने वाले स्थान पर ही गोबर से बनाई गई छोटी-छोटी सूखी गोबरीलों से होली तैयार की जाती है। होली के दिन हर घर में यह छोटी होली जलाई जाती है। इस होली को जलाने के लिए गांव की प्रमुख होली से आग लाई जाती है।

कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग
फुलोरा दूज के दिन आपसी प्रेम बढ़ाने के लिए राधा-कृष्ण जी का पूजन किया जाता है। इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग चढ़ने लगता है। इस दिन जो भक्त कृष्ण भक्ति करते हैं उनके जीवन में प्रेम की वर्षा होती है। इस पर्व का दूसरा महत्व विवाह को लेकर है। होली से लगभग पंद्रह दिन पहले से शादियों का मुहूर्त समाप्त हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार विवाह के लिए इस दिन शुभ मुहूर्त होता है इस दिन विवाह करना शुभ माना जाता है। फुलेरा दूज के बाद से होली तक कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। फुलेरा दूज को अत्यंत शुभ मुहूर्त माना जाता है।

Created On :   6 March 2019 11:39 AM GMT

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