क्यों होते हैं भगवान श्री जगन्नाथ जी 15 दिनों के लिए बीमार ? 

Why Lord Jagannath being sick every year for 15 Days  
क्यों होते हैं भगवान श्री जगन्नाथ जी 15 दिनों के लिए बीमार ? 
क्यों होते हैं भगवान श्री जगन्नाथ जी 15 दिनों के लिए बीमार ? 

डिजिटल डेस्क, उड़ीसा। जगन्नाथ जी के पट संत कबीर जयंती 28 जून 2018 से 15 दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं और उनकी सेवा की जा रही है, ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं और उनका पूर्ण रूप से उपचार हो सके। जी हां ये कोई कहानी नहीं है ये पूर्णरूप से प्रमाणिक सत्य है।

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से भगवान श्री जगन्नाथ आज भी रोगी हो जाते हैं। इस दिन से अगले 15 दिनों तक जगन्नाथ भगवान बीमार रहते हैं। 15 दिन के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं और उनकी रसोई बंद कर दी जाती है। 15 दिनों तक जगन्नाथ भगवान को अलग-अलग प्रकार के काढ़ों का भोग लगाया जाता है। 15 दिन बाद जब वो पूरी तरह से ठीक होते हैं तो उस दिन जगन्नाथ रथ यात्रा होती है। जिनके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते हैं। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई 2018 को है।

 


क्यों पड़ते हैं श्री जगन्नाथ भगवान प्रत्येक वर्ष बीमार ? 

उड़ीसा प्रान्त में जगन्नाथपुरी में एक भक्त माधव दास जी अकेले रहते थे, संसार से इनका कोई लेना देना नहीं था। अकेले बैठे-बैठे भजन किया करते थे, नित्य प्रति श्री जगन्नाथ प्रभु के दर्शन करते थे और उन्हीं को अपना सखा मानते थे, प्रभु के साथ खेलते थे। प्रभु उनके साथ अनेक प्रकार की लीलाएं किया करते थे।

प्रभु इनको भड्याई (चोरी) करना भी सिखाते थे। भक्त माधव दास जी अपनी मस्ती में मग्न रहते थे। एक बार माधव दास जी को अतिसार (उल्टी–दस्त) का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गए कि उठ बैठ तक नहीं सकते थे। पर जब तक बना वे अपना कार्य स्वयं करते रहे और सेवा किसी की लेते भी नहीं थे। कोई कहे महाराज जी हम कर दें आपकी सेवा तो कहा करते थे नहीं मेरे तो केवल एक जगन्नाथ जी ही हैं वही मेरी रक्षा करेंगे। ऐसी दशा के कारण उनका रोग और बढ़ता चला गया वो उठने बैठने में भी असमर्थ हो गए। 
तब श्री जगन्नाथजी स्वयं सेवक बनकर उनके घर पहुंचे और माधव दास जी को कहा कि हम आपकी सेवा कर दें महाराज ?

अपने प्रिय भक्तों के लिए प्रभु क्या-क्या नहीं करते, क्योंकि उनका इतना रोग बढ़ गया था कि उन्हें पता भी नहीं चलता था कि कब मल-मूत्र त्याग देते थे। वस्त्र और शरीर ख़राब हो जाता था। उनके शरीर से दुर्गन्ध आने लगती थी। उन वस्त्रों को भगवान श्री जगन्नाथ जी अपने हाथों से साफ करते थे। उनके पूरे शरीर को साफ करते थे, उनको स्वच्छ करते थे।

इतनी सेवा कोई अपना भी नहीं कर सकता, जितनी सेवा श्री जगन्नाथ भगवान ने अपने भक्त माधव दास जी की की है। जब माधवदासजी को शुदा (होश) आया, तब उन्होंने तत्काल पहचान लीया कि यह तो मेरे प्रभु ही हैं। एक दिन तो श्री माधवदास जी ने पूछ लिया प्रभु आप तो त्रिभुवन के स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे, रोग दूर कर देते तो ये सेवा ही नहीं करना पड़ती ?

 


इस पर ठाकुर जी ने कहा, देखो माधव! मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की। जो प्रारब्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है। अगर आप उसको काटोगे नहीं तो इस जन्म में नहीं पर उसको भोगने के लिए फिर आपको अगला जन्म लेना पड़ेगा और मैं नहीं चाहता कि मेरे भक्त को फिर से प्रारब्ध के कारण अगला जन्म दुःख भोगने के लिए लेना पड़े। इसलिए मैंने स्वयं तुम्हारी सेवा की लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नहीं टाल सकता।

भक्तों के सहायक बनकर प्रभु उनको प्रारब्ध के दुखों से, कष्टों से सहज ही पार कर देते हैं। अब तुम्हारे प्रारब्ध में ये 15 दिन का रोग और बचा है, इसलिए 15 दिन का रोग तू मुझे दे दे। 15 दिन का वो रोग जगन्नाथ प्रभु ने माधव दास जी से ले लिया। इसलिए आज भी जगन्नाथ भगवान रोगी होते हैं।

भक्तों की वत्सलता के चलते आज भी वर्ष में एक बार जगन्नाथ भगवान को स्नान कराया जाता है। (जिसे स्नान यात्रा कहते हैं।) स्नान यात्रा करने के बाद हर साल 15 दिन के लिए जगन्नाथ भगवान आज भी बीमार पड़ते है। 15 दिन के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है। कभी भी जगन्नाथ भगवान की रसोई बंद नहीं होती पर इन 15 दिन के लिए उनकी रसोई बंद कर दी जाती है। भगवान को 56 भोग नहीं खिलाया जाता। उसकी जगह इन 15 दिनों भगवान को काढ़ों का भोग लगाया जाता है। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भी भोग लगाया जाता है। जगन्नाथ धाम मंदिर में तो भगवान की बीमारी की जांच करने के लिए हर दिन वैद्य भी आते हैं। काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है। वहीं रोज शीतल लेप भी लगया जाता है। बीमारी के दौरान उन्हें फलों का रस, छेना का भोग लगाया जाता है और रात में सोने से पहले मीठा दूध अर्पित किया जाता है

भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए है और अब 15दिनों तक आराम करेंगे। आराम के लिए 15 दिन तक मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं और उनकी सेवा की जाती है। ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं। जिस दिन वे पूरी तरह से ठीक होते हैं उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलती है, जिसके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते हैं। 

Created On :   6 July 2018 8:56 AM GMT

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