हाईकोर्ट ने पूछा ओबीसी में क्यों नहीं दिया गया मराठा समाज को आरक्षण, अवैध होर्डिंग मामले में कांग्रेस-शिवसेना- बसपा को नोटिस

why reservation is not given in OBC to Maratha society? -  HC
हाईकोर्ट ने पूछा ओबीसी में क्यों नहीं दिया गया मराठा समाज को आरक्षण, अवैध होर्डिंग मामले में कांग्रेस-शिवसेना- बसपा को नोटिस
हाईकोर्ट ने पूछा ओबीसी में क्यों नहीं दिया गया मराठा समाज को आरक्षण, अवैध होर्डिंग मामले में कांग्रेस-शिवसेना- बसपा को नोटिस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार द्वारा सोशियली एंड एज्युकेशनली बैकवर्ड क्लास (एसईबीसी)  नाम से अलग वर्ग बनाए जाने को लेकर सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने कहा कि आखिर क्यों मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल नहीं किया? अदालत ने कहा कि यदि सराकार के अनुसार एसईबीसी व ओबीसी एक ही समुदाय है तो मराठा समुदाय के लिए अलग वर्ग बनाने की जरुरत क्यों पड़ी? सरकार मराठा समुदाय को ओबीसी की श्रेणी में शामिल कर 16 प्रतिशत आरक्षण दे सकती थी। आखिर एसईबीसी श्रेणी बनाने की जरुरत क्यों पड़ी? खंडपीठ के इन सवालों के जवाब में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वीए थोरात ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मराठा समुदाय को शिक्षा व नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण देना था। उन्होंने कहा कि यदि मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल किया जाता तो उन्हें शिक्षा व नौकरी के अलावा राजनीति में भी आरक्षण देना पड़ता। मराठा समुदाय के लिए अलग श्रेणी बनाने की यहीं मुख्य वजह थी। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत सरकार को अधिकार है कि वह पिछड़े वर्ग की पहचान कर उनके कल्याण के लिए उचित कदम उठा सकती है। इसके लिए उसे राष्ट्रपति कि मंजूरी की प्रतिक्षा करने का जरुरत नहीं है। सरकार ने अपने अधिकार के तहत कानून के मुताबिक मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान किया है। 

अवैध होर्डिंग मामले में कांग्रेस, शिवसेना, बसपा को हाईकोर्ट का नोटिस

बांबे हाईकोर्ट ने अवैध होर्डिंग को लेकर कांग्रेस, शिवसेना व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में हाईकोर्ट ने कहा कि होर्डिंग के संबंध में दिए गए निर्देशो के उल्लंघन के लिए क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाए। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति अजय गड़करी की खंडपीठ ने इन तीनों राजनीतिक दलों को 27 मार्च 2019 तक कारण बताओ नोटिस के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने यह निर्देश अवैध होर्डिंग के मुद्दे को लेकर सुस्वराज्य फाउंडेशन व अन्य लोगों की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय वारुंजकर ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना व रिपब्लिकन पार्टी ने होर्डिंग के विषय में लिखित आश्वासन नामा (अंडरटेकिंग) दिया है, लेकिन कांग्रेस, शिवसेना व बसपा ने अब तक अंडरटेकिंग नहीं दी है। जबकि इन राजनीतिक दलों के समर्थकों की ओर से बड़े पैमाने पर अवैध होर्डिंग लगाई जाती है। उन्होंने बताया कि अमरावती इलाके में बसपा की अवैध होर्डिंग के संबंध में जानकारी सामने आयी है। इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता जोरु भतेना ने खंडपीठ के सामने कहा कि जिन राजनीतिक दलों ने अवैध होर्डिंग न लगाने को लेकर आश्वासन दिया है, उन दलों की ओर से भी बडे पैमाने पर मुंबई व अन्य इलाकों में अवैध होर्डिंग लगाई जा रही है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कांग्रेस, शिवसेना व बसपा को नोटिस जारी किया। खंडपीठ ने कहा कि हम अंडरटेकिंग देनेवाले राजनीतिक दलों को अवैध होर्डिंग हटाने व लगानेवालों के खिलाफ अगली सुनवाई के दौरान आदेश जारी करेंगे। इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स (बीकेसी) में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आगमन को लेकर बड़े पैमाने पर अवैध होर्डिंग लगाई गई है। गौरतलब है कि शुक्रवार को बीकेसी के एमएमआरडीए मैदान में बड़े कांग्रेस अध्यक्ष की चुनावी सभा का आयोजन किया गया था। 

दुष्कर्म के अपराध को दोहरानेवाले को फांसी की सजा का प्रवाधन काफी मंथन के बाद लिया गया

वहीं राज्य सरकार ने शक्तिमिल गैंग रेप मामले में दावा किया है कि दुष्कर्म के अपराध को दोहरानेवाले को फांसी की सजा का प्रावधान दिल्ली की निर्भया कांड की प्रतिक्रिया नहीं थी यह काफी सोच विचार कर व विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद लिया गया फैसला है। हाईकोर्ट में इस मामले के तीन आरोपियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में तीनों आरोपियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376ई की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि संसद में चर्चा व विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद धारा 376ई को लाया गया है। ताकि दुष्कर्म को अपराध के मामले में दो बार दोषी पाए मुजरिम को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जा सके। इस बीच मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि नेशनल क्राइन रिकार्ड ब्यूरों के आकड़े दर्शाते है कि 1971 से महिलाओं के खिलाफ अपराध तेजी से बढ रहे है। इसलिए जरुरी है कि दुष्कर्म के अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि समाज में कड़ा संदेश जाए। 

   

Created On :   1 March 2019 3:17 PM GMT

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