फसलों को नुकसान पहुंचा रहे वन्य प्राणी, किसानों को नहीं मिल रहा मुआवजा

Wild animals are ruining the farms, no compensation for farmers
फसलों को नुकसान पहुंचा रहे वन्य प्राणी, किसानों को नहीं मिल रहा मुआवजा
फसलों को नुकसान पहुंचा रहे वन्य प्राणी, किसानों को नहीं मिल रहा मुआवजा

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/ सौंसर। जंगली सुअरों से फसल को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति की प्रकियां में दो विभागों के जमीनी अमले के बीच तालमेल के अभाव के कारण किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पा रही है। ऐसे में जंगली सुअरों को रोकने खेतों की मेढ़ पर बिजली का करंट फैलाने किसान मजबूर हो रहा है। इस जानलेवा उपाए में 15 दिन में चार लोगों की मृत्यु होने से किसानों में प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है।

राजस्व विभाग के आकड़े बताते है कि दो वर्ष में मात्र 15 किसानों को 99 लाख 860 रुपए की क्षतिपूर्ति वितरित हुई। छिंदेवानी के किसान साजूराम कौशीक ने बताया कि इस वर्ष जंगली सुअरों के कारण मूंगफली का रकबा घटाया। बीते वर्ष 5 एकड़ की मूंगफली में नुकसान होने पर वन व राजस्व विभाग में आवेदन दिया था कोई लाभ नहीं हुआ। अमूमन यहीं कहानी उन किसानों की है जिन्हें फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं मिली।

घोटी के किसान यशवंत बापू बोबडे कहते है कि जंगली सुअर से होने वाले नुकसान की भरपाई कराने में वन व राजस्व विभाग के कर्मचारियों द्वारा टालमटोल जवाब देने से किसान गुमराह होता हैं। पंधराखेड़ी के किसान सुभाष घागरे का कहना है कि मुख्य भूमिका पटवारी व वन अमले की है, लेकिन दोनों से किसानों को सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

दो सप्ताह में चार लोगों की मृत्यु
जंगली सुअर से होने वाले नुकसान से बचने किसान अब खेतों की मेढ़ पर बिजली करंट फैला रहे है। इसमें दो सप्ताह में चार लोगों की मृत्यु हो गई। इसमें एक नाबालिक लड़की भी हैं। 22 अगस्त को पंधराखेड़ी में एक बुजुर्ग किसान, 10 सितंबर को सौंसर नगर से मेंढेपठार में एक साथ दो किसान व 11 सितंबर को पिपला के मेजरढ़ाना में एक नाबालिग लड़की की बिजली करंट से मृत्यु हो गई।

नहीं हो रहा प्रक्रिया का पालन
वन्य प्राणियों से फसलहानि की क्षतिपूर्ति के लिए नोडल अधिकारी राजस्व विभाग से है। मप्र शासन के लोक सेवा गारंटी में दी व्यवस्था के तहत आवेदन का एक माह में निराकरण करना है। हितग्राही क्षतिपूर्ति के पात्र नहीं होने पर संबंधित को इसकी जानकारी देना आवश्यक है। इधर वन्य प्राणी से फसल को नुकसान पहुंचाने का 13 सितंबर तक लोक सेवा केंद्र में एक भी आवेदन नहीं आया। हालांकि तहसील कार्यालय में 26 आवेदन प्राप्त हुए है।

क्या कहते है जिम्मेदार
मौके पर पंचनामा राजस्व विभाग को तैयार करना है, वन विभाग की ओर से इस पर हस्ताक्षर होते हैं।
-एके महाले उपवन मंडल अधिकारी

किसान सामूहिक रुप से आवेदन करते है, जबकि आवेदन व्यक्तिगत चाहिए। मैने जब से पदभार ग्रहण किया, किसानों को प्रक्रिया से अवगत कराते हुए आवेदन लिए जा रहे है। अब तक 26 आवेदन प्राप्त हुए जो जांच प्रक्रिया में है।
-डॉ. अजय भुषण शुक्ला तहसीलदार

Created On :   14 Sep 2018 11:56 AM GMT

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