मप्र: क्या चुनावी मुद्दा बनेगा 1 साल में 2000 किसानों का सुसाइड?

Will agriculture be a issue in Madhya Pradesh assembly election 2018
मप्र: क्या चुनावी मुद्दा बनेगा 1 साल में 2000 किसानों का सुसाइड?
मप्र: क्या चुनावी मुद्दा बनेगा 1 साल में 2000 किसानों का सुसाइड?
हाईलाइट
  • 16 साल में 2000 से लेकर अब तक 21
  • 000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं
  • NCRB ने अपनी रिपोर्ट में खराब फसलों और फसल की बिक्री न होने को जिम्मेदार बताया
  • कर्ज के तले दबे किसानों की आत्महत्या के मामले में भी मप्र का स्थान काफी आगे है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल होने के कारण बहुत सारे मुद्दे उठ रहे हैं। कर्ज के तले दबे किसानों की आत्महत्या के मामले में भी मप्र का स्थान काफी आगे है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-2017 में मप्र के 1982 ऐसे लोगों ने खुदकुशी कर ली, जो या तो खेती करते थे, या किसी के खेत में मजदूरी करके अपना पेट पाल रहे थे। NCRB ने अपनी रिपोर्ट में फसलों का खराब होना, फसल की बिक्री न होना और वक्त पर कर्ज न चुका पाने के आलावा गरीबी को भी इसका कारण माना है। NCRB के पिछले 16 साल के आंकड़ों को उठाकर देखें तो 2000 से लेकर अब तक 21,000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। मौत के इन आंकड़ों के बाद सवाल ये है कि क्या किसानों की मौत का मामला 2018 चुनाव में मुद्दा बन पाएगा?

 

 

इन 5 मांगों पर था किसानों का आंदोलन

- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
- किसानों का कर्ज माफ किया जाए।
- किसानों को उचित समर्थन मूल्य दिया जाए।
- मंडी का रेट निर्धारण हो।
- किसानों को पेंशन दी जाए।


सरकार ने क्या किया?

1. अगस्त 2018 को राजस्व, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने किसान ऐप लांच किया, जिसमें किसान खुद अपना पंजीयन कर सकते हैं।

2. मार्च 2018 को सरकार ने किसानों के लिए किसान मेले का आयोजन किया, जिसमें नाम मात्र किसान भी नहीं आए।

3. किसान आंदोलन की बरसी पर किसान मप्र सरकार ने किसानों से बॉन्ड भरने को कहा कि वो कोई भी उग्र प्रदर्शन नहीं करेंगे। इस पर काफी विवाद भी हुआ था।

4. बरसी पर होने वाले आंदोलन से निपटने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस ने 17 हजार लाठी डंडे खरीदे थे।

Created On :   22 Sep 2018 8:03 AM GMT

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