केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दिए परिसीमन के संकेत, अब्दुल्ला ने जताया विरोध

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दिए परिसीमन के संकेत, अब्दुल्ला ने जताया विरोध
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दिए परिसीमन के संकेत, अब्दुल्ला ने जताया विरोध
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दिए परिसीमन के संकेत, अब्दुल्ला ने जताया विरोध
हाईलाइट
  • इन संकेतों के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इसका विरोध किया है
  • इसे लेकर मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक उच्च स्तरीय बैठक की
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू- कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन के संकेत दिए हैं

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने जम्मू और कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन के संकेत दिए हैं। इसे लेकर मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक उच्च स्तरीय बैठक की। इन संकेतों के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य के लोगों से जनादेश के बिना ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। बता दें कि सूबे में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था, जब गवर्नर जगमोहन के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों का गठन किया गया।

क्या कहा उमर अब्दुल्ला ने?
अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि "जब देश के बाकी हिस्सों में परिसीमन होगा, तो जम्मू-कश्मीर में इसे लागू करने के लिए भाजपा का स्वागत है, लेकिन तब तक हम राज्य के लोगों से जनादेश के बिना ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे।" इससे पहले एक ट्वीट में, उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर रोक लगाई गई थी और ऐसा इसीलिए किया गया था ताकि इस राज्य को देश के बाकी हिस्सों के अनुरूप  लाया जा सके। इसे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में चुनौती दी गई थी।" उन्होंने बाद में अपने एक ट्वीट में कहा, "यह आश्चर्य की बात है कि भाजपा, जो जम्मू और कश्मीर को 370 और 35-A हटाकर अन्य राज्यों के साथ लाने की बात करती है, वह अब जम्मू-कश्मीर का दूसरे राज्यों से अलग व्यवहार करना चाहती है।"

2026 तक परिसीमन पर लगा दी थी रोक
हालांकि, जम्मू-कश्मीर के एक्टिविस्ट सुशील पंडित ने कहा कि केंद्र सरकार का राज्य में विधानसभा सीटों के परिसीमन पर विचार करना एक सही निर्णय है। उन्होंने कहा जम्मू में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग 65,000 लोग हैं, जबकि कश्मीर में केवल 42,000-43,000 लोग हैं। इसके आधार पर, जम्मू में अधिक विधानसभा सीटें होनी चाहिए। इसके अलावा, लेह और लद्दाख में अधिक सीटें होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 2002 में फारूक अब्दुल्ला सरकार ने एक एक्ट में संशोधन करके 2026 तक परिसीमन पर रोक लगा दी थी। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी उनके फैसले पर सहमति जताई थी। पंडित ने कहा जम्मू में लगभग 50 सीटें होनी चाहिए और लेह-लद्दाख में दो सीटें बढ़नी चाहिए।

गृह मंत्रालय की महत्वपूर्ण बैठक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्य में वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य और अमरनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। शाह के साथ गृह सचिव राजीव गौबा, कश्मीर के एडिशनल सचिव ज्ञानेश कुमार सहित कई अफसर मौजूद रहे। केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के ठीक तीन दिन बाद यह बैठक हुई है। इस बीच, चुनाव आयोग ने भी मंगलवार को कहा कि वह इस साल के अंत में जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा अमरनाथ यात्रा के समापन के बाद की जाएगी।

क्या है परिसीमन?
किसी देश में या प्रांत में निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करने को परिसीमन कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 82 के मुताबिक सरकार 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है। इसके तहत जनसंख्या के आधार पर विभिन्न विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण होता है। इसकी वजह से राज्य में प्रतिनिधियों की संख्या नहीं बदलती, लेकिन जनसंख्या के हिसाब से अनुसूचित जातियों की संख्या बदल जाती है।

जम्मू-कश्मीर में 1995 में हुआ था परिसीमन
जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था, जब गवर्नर जगमोहन के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों का गठन किया गया। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 111 सीटें हैं, इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली छोड़ी गई है। इसीलिए यहां पर 87 सीटों पर ही चुनाव होता है। जम्मू-कश्मीर का अलग से भी संविधान है जिसके मुताबिक निर्वाचन क्षेत्रों का 10 साल के बाद परिसीमन किया जाना चाहिए।  
 

Created On :   4 Jun 2019 6:10 PM GMT

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