World Water Day: इस खास थीम पर मनाया जा रहा 'जल दिवस', साफ और स्वच्छ जल का दिया जा रहा अ​धिकार

World Water Day: इस खास थीम पर मनाया जा रहा 'जल दिवस', साफ और स्वच्छ जल का दिया जा रहा अ​धिकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कहते है कि पानी के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है और सच भी है। हम पानी के बिना अपने जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते। "जल है तो कल है"। पानी के इसी महत्व को देखते हुए, हर जगह जल को बचाने के संदेश मिल जाते है। जैसे "बिन पानी सब सून", "जल ही जीवन है" आदि। हमारी पृथ्वी का ​एक तिहाई हिस्सा जल से घिरा हुआ है। इसके बावजूद भी जगह जगह पर लोग पानी की समस्या से परेशान हैं। देश में आधुनिकरण के बाद भी लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है। कई जगह पानी की सप्लाई इतनी ज्यादा है कि लोग उसे आंख मूंदकर बर्बाद करते हैं तो कई जगह प्यास बुझाने के लिए ही पानी नसीब नहीं है। यहीं कारण है कि दुनिया के अ​धिकांश लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता है। लोगों में पानी के प्रति अवेयरनेस बढ़ाने के लिए ही 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ताकि लोग पानी की कीमत को समझ सकें। विश्व के हर नागरिक को इसके महत्व से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी।

यह है इस साल की थीम
हर साल विश्व जल दिवस को अलग अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है। लोगों में पानी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए खास थीम के अनुसार इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार की थीम भी, हर बार की तरह ही खास है।​ विश्व जल दिवस साल 2019 की थीम है कि "किसी को पीछे नहीं छोड़ना" (Leaving no one behind)। इस थीम के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि साफ और स्वच्छ जल सभी का अधिकार है, इससे कोई भी वंचित नहीं रहना चाहिए। 

ऐसे हुई शुरूआत
विश्व में पानी की कमी को देखते हुए साल 1992 में इस विषय पर सोचा गया, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में अपने अधिवेशन में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद ही साल 1993 में पहली बार 22 मार्च को लोगों में पानी के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया गया था। 

जल को बचाने का लें संकल्प
जल सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसा नहीं है कि लोग इसके फायदों के बारे में जानते। दिक्कत यह है कि लोग पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में जानते हुए भी इसे बर्बाद करने से बाज नहीं आते। विश्व जल दिवस पर हमें शपत लेनी चाहिए कि हम पानी का उपयोग करेंगे। इसे बेवजह बर्बाद नहीं करेंगे। ताकि हमें भविष्य में पानी के लिए परेशान न होना पड़ा। 

अरबों लोगों को नहीं मिल पाता शुद्ध पानी
यदि हम आकड़ों पर गौर करें तो करीब 1.5 अरब लोग पीने के शुद्ध पानी से महरूम हैं। यह संख्या अपने आप में बहुत ज्यादा है, इसलिए हमें जल को संरक्षित करना चाहिए। साथ ही इसकी स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पीने का साफ पानी मिल सके। 

भारत भी है जलसंकट शिकार
देश के कुछ बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो भारत के ही कई राज्य पानी की किल्लत से परेशान हैं। लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पाता। जिसके चलते गंदा पानी का सेवन करना लोगों की मजबूरी है। यही कारण है कि वे गंदे पानी से होने वाली बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। आलम तो यह है कि कई प्रदेशों में महिलाएं कई किलोमीटर तक पैदल चलकर पीने के लिए पानी लाने को मजबूर हैं।

प्रदूषण बड़ी समस्या
बढ़ते प्रदूषण की समस्या के चलते विश्व में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। औधोगिकरण के कारण दिन पर दिन पानी दूषित होता है। वायुमण्डल में नाइट्रोजन, कार्बनड्राइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड गैसों के मिलने से पृथ्वि का तापमान बढ़ता जा रहा है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन के कारण कम बारिश, बाढ़ और अकाल जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। 

हर बूंद है कीमती
पानी की एक-एक बूंद बहुत कीमती है। ऐसे में पानी बचाने के लिए हर व्यक्ति को पहल करनी चाहिए। बारिश होती है तो हमें पीने के लिए पानी मिलता है। इसलिए बारिश के पानी को अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करनी चाहिए। नल में आने वाले पानी को यूं ही बर्बाद नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि आज अगर हम जल बचाएंगे तो ही हमारा आनेवाला कल सुरक्षित रह पाएगा। ऐसे में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी को जागरूर होना होगा और पानी के मोल को समझते हुए पानी को बचाना होगा। 

पृथ्वी के कितने फीसदी भाग पर है जल
हमारी पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल से घिरा है, 29 फीसदी भाग पर स्थल है। इस 29 प्रतिशत क्षेत्र पर ही इंसान और दूसरे प्राणी रहते हैं। कुल पानी का लगभग 97 फीसदी पानी समुद्र में पाया जाता है, लेकिन खारा होने के कारण इस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। सिर्फ ​तीन प्रतिशत पानी ही पीने लायक है, जो ग्लेशियर, नदी, तालाबों में पाया जाता है। इस तीन फीसदी पानी में भी 2.4 फीसदी हिस्सा ग्लेशियरों, दक्षिणी ध्रुवों पर जमा है, जबकि बचा हुआ 0.6 फीसदी पानी नदी, तालाबों, झीलों और कुओं में मौजूद है। जिसका हम उपयोग कर सकते हैं, इसलिए हमें जल को बचाना चाहिए। इसकी एक बूंद बूंद बहुत कीमती है, इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए।

Created On :   22 March 2019 4:02 AM GMT

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