विश्व जल दिवस : 3484 गांवों में जलसंकट के हालात, 16 नदियां नहीं बुझा पा रहीं जनता की प्यास

world water day:Threats of water scarcity in 3484 villages, thirsty people of 16 rivers not extinguished
विश्व जल दिवस : 3484 गांवों में जलसंकट के हालात, 16 नदियां नहीं बुझा पा रहीं जनता की प्यास
विश्व जल दिवस : 3484 गांवों में जलसंकट के हालात, 16 नदियां नहीं बुझा पा रहीं जनता की प्यास
हाईलाइट
  • वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित पर्यावरण तथा विकास कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई थी।
  • हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य है कि दुनिया के सभी विकसित देशों में स्वच्छ व सुरक्षित जल की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके।

लिमेश कुमार जंगम, नागपुर।  विदर्भ में जलसंकट की समस्या हर साल निर्माण होती है। अप्रैल व मई में हर वर्ष विदर्भ के अमूमन तीन-साढ़े तीन हजार गांवों को जलसंकट की समस्या से जूझना पड़ता है। इस बार भी  विदर्भ के 3484 गांवों में जलसंकट के हालात बन रहे हैं। हालांकि संबंधित जिला प्रशासन के अधिकारियों ने 7064 अस्थाई व सुधार योजनाओं को मंजूर करते हुए 90 करोड़ 72 लाख रुपए खर्च का प्रावधान किया है, लेकिन  बरसों से विदर्भ में जलसंकट की समस्या का स्थाई समाधान करने में सरकार व प्रशासन को कामयाबी नहीं मिल पा रही है। हैरत यह है कि 16 से अधिक नदियों से घिरे विदर्भ में सिंचाई विभाग की ओर से 1108 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से 788 का निर्माण पूर्ण हो चुका है। शेष 320 में से 6 को रद्द किए जाने के बाद 314 निर्माणाधीन परियोजनाओं से 8442.71 दलघमी जलसंग्रहण क्षमता निर्मित की गई है। इसके लिए अब तक 37 हजार 927 करोड़ निधि खर्च की जा चुकी है। इसके बावजूद यह स्थिति हर वर्ष आती ही है। 

वन कानून में अटकीं 28 परियोजनाएं, 6 हो गई रद्द
वन कानून की जटिल शर्तों एवं मंजूरी प्राप्त करने में आ रही दिक्कतों के कारण अब तक विदर्भ की 28 परियोजनाओं को मंजूरी नहीं मिल पाई है। जिसके कारण संबंधित परियोजनाओं का निर्माण अधर में अटका हुआ है। वहीं 6 परियोजनाएं विविध कारणों के चलते सरकार ने रद्द कर दी। प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के प्रयास इस दिशा में कम पड़ते दिखाई दे रहे हैं। वहीं 314 निर्माणाधीन परियोजनाओं में से मात्र 122 पूर्ण हो चुकी हैं। बारिश की कमी के कारण 1108 परियोजनाओं में क्षमता के मुकाबले आधे से भी कम पानी उपलब्ध है। जिसके कारण विदर्भ के 3484 गांवों में जलसंकट की समस्या निर्माण हो चुकी है। 

घट रहा है जलसंग्रहण
पर्यावरण को नुकसान, बारिश की कमी व अधिक जलदोहन आदि मुख्य कारणों के चलते प्रतिवर्ष बांधों के जलसंग्रहण में कमी आ रही है। एक ओर जहां हजारों करोड़ खर्च कर सैकड़ों बांधों का निर्माण किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर भारी क्षमता के बावजूद उन बांधों में अप्रैल व मई माह में अपेक्षित पानी शेष रह नहीं पाता। वर्ष 2013 की तुलना में आधे से भी कम पानी संग्रहित होने की चिंताजनक जानकारी उजागर हुई है।

14% जलस्रोत दूषित 538 योजनाएं अटकीं 
विदर्भ के नागपुर, वर्धा, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर एवं गड़चिरोली जिले के 49 हजार 457 जलस्रोतों में से 13.77 फीसदी जलस्रोत दूषित होने की जानकारी है। प्रशासन द्वारा इकठ्ठा किए गए कुल 10 हजार 486 नमूनों में से 9 हजार 262 की जांच की गई। इनमें 1 हजार 275 नमूने दूषित पाए गए। वहीं भूजल स्तर नापने के लिए मात्र 1136 पीजोमीटर उपलब्ध है, जो अपर्याप्त बताए जाते हैं। संभाग में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत 545 में से 538 जल योजनाएं अब तक शुरू नहीं की जा सकीं हैं, जबकि वित्तीय वर्ष की समाप्ति के मुहाने पर मात्र 35.79 प्रतिशत निधि ही खर्च किए जाने की रिपोर्ट है। प्रशासन की तिजोरी में आज भी 61.01 करोड़ रुपए बिना खर्च के पड़े हुए हैं। 

क्यों मनाते हैं जल दिवस
 हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि दुनिया के सभी विकसित देशों में स्वच्छ व सुरक्षित जल की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा जल संरक्षण के महत्व पर ध्यान केंद्रित कराने का प्रयास होता है। वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित पर्यावरण तथा विकास कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई थी। 

Created On :   22 March 2018 7:59 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story