आंवले की पूजा का श्रेष्ठ व्रत, करें इस वृक्ष के नीचे भोजन

आंवले की पूजा का श्रेष्ठ व्रत, करें इस वृक्ष के नीचे भोजन

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आमलकी एकादशी से बार 26 फरवरी को है। इस दिन आंवले की पूजा का महत्व है। आंवले के वृक्ष को स्वयं भगवान विष्णु द्वारा अवतरित माना गया है अतः यदि यह व्रत धारण कर विधि-विधान से पूजन किया जाए तो निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान विष्णु की कृपा से मनुष्य के जीवन में उसकी अनेक अधूरी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यहां यह भी कहा जाता है कि आंवला जीवनकाल में ना केवल स्वास्थ्य का लाभ पहुंचाता है बल्कि परलोक में भी उर्पयुक्त स्थान सुनिश्चित करता है। इसकी पूजा के लिए कुछ खास तिथियां सुनिश्चित की गई हैं। इन्हीं में श्रेष्ठ है आमलकी एकादशी। 
यहां हम आपको एकादशी के संबंध में बेहद महत्वपूर्ण बाताें के बारे में बताने जा रहे हैं...

 

1. पद्म पुराण  में ऐसा वर्णन मिलता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। भगवान श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और व्रती को वरदान देते हैं। 

 

2. आमलकी एकादशी व्रत धारण करने वालों को आंवले की पूजा विधि-विधान से करना चाहिए। इसके उपरांत आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर लोगों को भोजन करवाना चाहिए। इसके बाद स्वयं भी इसी के नीचे बैठकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इससे ना केवल स्वास्थ्य उत्तम रहता है, बल्कि अनेक जन्मों के पापों का भी नाश होता है।  

 

3. ऐसा करने से अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। फाल्गुन शुक्ल की इस एकादशी पर प्रसाद के रूप में भगवान विष्णु को आंवले अर्पित करना भी लाभकारी बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि विधि पूर्वक इन कार्यों को करने से मनुष्य को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। 

 

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4. अगर इस दिन आंवले का वृक्ष ना मिले तो प्रसाद के रूप में आंवला ही श्रीहरि को समर्पित करें। साथ ही इस दिन आंवला ही ग्रहण करें। ये भी लोक परलोक के लिए उत्तम माना गया है। 

Created On :   23 Feb 2018 3:18 AM GMT

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