सेल्फाइटिस से युवा हो रहे मेंटली डिस्टर्ब, बच्चों को बचाने स्कूल-कालेजों में शुरू हुआ जनजागरण

Young generation selfitis new mental disorder start by smartphone
सेल्फाइटिस से युवा हो रहे मेंटली डिस्टर्ब, बच्चों को बचाने स्कूल-कालेजों में शुरू हुआ जनजागरण
सेल्फाइटिस से युवा हो रहे मेंटली डिस्टर्ब, बच्चों को बचाने स्कूल-कालेजों में शुरू हुआ जनजागरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘सेल्फी’ फोटोशॉपी के विविध ‘एप्लिकेशंस’ के माध्यम से आकर्षक बनकर सोशल मीडिया पर झलकने के बाद ‘कमेंट’ का इंतजार करने वाले अनेक युवक, युवती न चाहते हुए ‘सेल्फीटिस’ मानसिक रोग की ओर बढ़ रहे हैं। सेल्फी निकालते समय होने वाली मृत्यु और ‘सोशल मीडिया’ पर डाली गई ‘सेल्फी’ पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर निराशा के गर्त में जाकर आत्महत्या करने जैसी घटना चिंता का विषय बन गई है। इस पर नियंत्रण करने के लिए शहर के युवाओं ने पुलिस के सहयोग से शाला, महाविद्यालय में जनजागृति करने का बीड़ा उठाया है।

सोशल मीडिया विश्लेषक अजित पारसे सहित अनेक युवा इस अभियान से जुड़े हैं। पारसे ने युवाओं को इससे बचाने के लिए पुलिस के साथ समन्वय साधकर कार्यशाला, मार्गदर्शन शिविर से जनजागृति आरंभ की है। शाला, महाविद्यालय, झोपड़पट्टी परिसर में भी जनजागृति की जा रही है। विशेष यह कि विविध प्रकार के फोटो, कहां जा रहे हैं, कहां हैं आदि जानकारी शेयर कर अपराध को प्रोत्साहन मिलने की संभावना जताई गई है। 

नागपुर में सेल्फी के शिकार 

-16 नवंबर 2016 को शहर के भगवाननगर परिसर के मनोज भुते युवक का रामटेक स्थित गढ़ मंदिर के साथ सेल्फी निकालते समय मृत्यु हुई थी। 
-5 नवंबर 2017 को बोर धरण में सेल्फी निकालते समय पंकज गायकवाड, निखिल कालबांडे युवकों की मृत्यु हुई। 

भारत में अब तक सेल्फी से 159 मौतें

‘सेल्फी’ निकालने के बाद विविध एप्लिकेशन का उपयोग कर आकर्षक फोटो फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, स्नैप चैट आदि सोशल मीडिया पर डालने का चलन तेजी से बढ़ा है। अमेरिकन साइकैट्रिक एसोसिएशन ने ‘सेल्फाइटिस’ एक मानसिक रोग होने का दावा किया है। 2011 से 2017 में सेल्फी निकालते समय दुनिया में 259 मृत्यु हुई। भारत में 159 मौत होने की रिपोर्ट अमेरिका के जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर संस्था ने दी है। इसमें युवतियों की तुलना में युवाओं की संख्या अधिक है।

दिन में दो से तीन सेल्फी निकालना, उसे भले पोस्ट नहीं किया है, फिर भी वह इसके दायरे में आने का मत रिपोर्ट में दर्ज किया गया है। नागपुर जिले में भी पिछले कुछ सालों में नदी में नाव पर बैठकर सेल्फी निकालने से मृत्यु की घटनाएं हुई हैं। इसके बाद भी युवा इन घटनाओं से सबक नहीं ले रहे हैं और सेल्फी के मोह में फंस रहे हैं। ऊंचे पहाड़, तालाब, बांध, धबधबा, महामार्ग पर ‘नो सेल्फी जोन’ तैयार करने की जरूरत है। ऐसे स्थानों पर सेल्फी निकालने वालों पर कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 

युवक-युवती हो जाते हैं निराश 

विविध सेल्फी अथवा पोस्ट डालकर युवक, युवतियों ने खुद पर टीका-टिप्पणी करने के लिए अन्य को मंच उपलब्ध करा दिया है। अनेक बार यह पोस्ट ‘ट्रोल’ की जाती है। एक के बाद एक नकारात्मक प्रतिक्रिया से युवक, युवती जल्द निशारा के गर्त में चले जाते हैं। इससे मन में आत्महत्या के विचार आते हैं। जिस कारण इस पर नियंत्रण करना आवश्यक है। - अजित पारसे, सोशल मीडिया विश्लेषक
 

Created On :   13 March 2019 7:18 AM GMT

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