रंग बिरंगी पतंगों से सराबोर हुआ आसमान, ढील दे ढील दे दे रे भैया.....

Young people present on terrace or ground with many kind of kites
रंग बिरंगी पतंगों से सराबोर हुआ आसमान, ढील दे ढील दे दे रे भैया.....
रंग बिरंगी पतंगों से सराबोर हुआ आसमान, ढील दे ढील दे दे रे भैया.....

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मकर संक्रांति के मौके पर उपराजधानी में पतंगबाजी का दौर शुरु है। युवा कई तरह की पतंगों के लेकर घर की छतों और खुले मैदानों में नजर आए। पतंगबाजों में एक दूसरे की पतंग काटने की होड़ दिखी। इस मौके पर संतरानगरी के सभी फ्लाइओवर बंद कर दिए गए। ताकि मांझे की चपेट में आकर कोई घायल न हो। अकसर दोपहिया सवार वाहन चालक मांझे की चपेट में आकर घायल होते हैं। पतंगबाजों की जुबां पर एक ही बात रही. "ढील दे ढील दे दे रे भैया, उस पतंग को ढील  दे" इससे पहले शनिवार को बाजारों में पतंगबाजों की जमकर भीड़ देखने मिली। रंग-बिरंगी पतंगों से बाजार भरे मिले। 40 रुपए से लेकर हजार रुपए तक की पतंगें बाजार में बच्चों के साथ बड़ों को आकर्षित करती रहीं। इसमें सामान्य पतंगों के साथ सोशल मैसेज भी देने वाली और राजनीतिक दिग्गजों की फोटो वाली पतंग शामिल थीं। कुछ पतंग शौकीनों ने दिन में पतंग, चकरी की खरीदारी करते हुए शाम को पतंग उड़ाई, तो कुछ पतंगबाजों ने शाम को बाजार में पहुंच संक्रांति की तैयारी पूरी की थी। मोमिनपुरा, सतरंजीपुरा, मानेवाड़ा, सिविल लाइंस, गिट्टीखदान आदि परिसर में आसमान पतंगों से सराबोर रहे। शनिवार को ज्यादातर कार्यालय बंद और आधा दिन स्कूल बंद रहने से पतंग शौकीनों में गजब का उत्साह बन गया था। 

प्लास्टिक की पतंगों ने मारी बाजी 

इतवारी पतंग बाजार में दुकानदारों की मानें तो प्लास्टिक की पतंगों ने इस बार बाजी मारी। छोटे से लेकर बड़ों तक सभी इन्हीं पतंगों के दीवाने नजर आए। विक्रेता अजय गोखले ने बताया कि ज्यादातर पतंग शौकीन प्लास्टिक की पतंगों की डिमांड कर रहे हैं। क्योंकि यह पतंगें सस्ती भी होती हैं, वहीं दिखने में भी आकर्षक होती हैं। यही नहीं कागज की पतंगों की तुलना यह बहुत कम खराब होती हैं। इसके अलावा पतंगों पर योगी-मोदी की फोटो का भी सामावेश रहा, जिसे कई शौकीनों ने खरीदा। कागज वाली पतंगों में डिब्बेदार, आंखदार, खड़ा सब्बल, पूछवाली पतंग, चांददार पतंग हाथों-हाथ बिक रही थीं। मांजा में हर कोई चीनी मांजा की मांग करते दिखे, लेकिन कुछ दुकानदारों ने बंद रहने की हिदायत देते हुए इनकार कर दिया। हालांकि सूत्रों की मानें तो शहर में कई जगह पर चोरी-छुपे बिक्री की जा रही है। 

गुम हो रही चील पतंग

कुछ समय पहले तक लकड़ी की चकरी व चीलदार पतंग हाथों-हाथ बिक जाती थीं, लेकिन इस वर्ष बाजार में चील पतंग गुम होते दिखीं। वही लकड़ी की चकरी से ज्यादा लोग प्लास्टिक की चकरी में ज्यादा रुचि दिखाते नजर आए। झंडा चौक पतंग बाजार के विक्रेता ने बताया कि पहले तेज मांजा बनाने के लिए पतंगबाज अलग-अलग सामग्री घर लेकर आते थे। घर में ही वह साधे धागे का मांजा बनाते थे। जो पतंग उड़ाने में मजा तो देते थे, लेकिन खींचने पर आसानी से टूट जाते थे। अब रेडीमेड ही मांजा मांगा जाता है, जिसमें चीनी मांजे के ज्यादा मांग हैं।

सड़कों पर कटी पतंग, वाहन चालकों के गले में अटकते रहे मांजे

संक्रांति के एक दिन पहले आसमान में पतंगों की भरमार रही। पेंच के बाद कटने वाली पतंगें सड़कों पर आकर गिरती रहीं। ऐसे में कई वाहन चालकों के गले में मांजा फंसता रहा, जिससे अनहोनी आशंका बन रही थी। मानेवाड़ा चौक से तुकडोजी पुतला चौक की ओर जा रहे वाहन चालक नीतेश गोडबोले के गले में अचानक मांजा आकर फंस गया, जिससे उन्होंने तुरंत ब्रेक लगाया। हालांकि उनके गले में स्कार्प बंधा होने से कोई चोट नहीं पहुंची। बर्डी, इतवारी आदि इलाकों में भी इस तरह के वाक्ये दिनभर होते रहे।  

Created On :   14 Jan 2018 10:10 AM GMT

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