नवरात्र पर जानें देवी के इन शक्तिपीठों की कहानी, जहां आज भी होता है दिव्य चमत्कार

त्रिपुरा, 27 सितंबर (आईएएनएस)। नवरात्र का पर्व देवी दुर्गा की उपासना और शक्ति की आराधना का प्रतीक है। इस अवसर पर देश भर के देवी मंदिरों में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन मंदिरों में विशेष रूप से त्रिपुर सुंदरी और कामाख्या देवी के शक्तिपीठ का महत्व अद्वितीय है। ये दोनों मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में गिने जाते हैं और अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्ता के कारण दूर-दूर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
त्रिपुरा राज्य के उदयपुर नगर में स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर, जिसे माताबाड़ी के नाम से भी जाना जाता है, पूर्वोत्तर भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। इसे त्रिपुरा की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव के तांडव नृत्य के समय जब सती माता का शरीर खंडित हो रहा था, तब उनका दाहिना पैर यहीं आकर गिरा था। तभी से यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में पूजित है और यहां माता को त्रिपुर सुंदरी के रूप में श्रद्धा दी जाती है।
इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि इसका आधार कछुए के कूबड़ के आकार का है, इस कारण इसे कूर्म पीठ भी कहा जाता है। हिंदू परंपरा में कछुआ स्थिरता और सहनशीलता का प्रतीक है। मंदिर के पास स्थित कल्याण सागर झील श्रद्धालुओं की आस्था को और गहरा करती है। यहां कछुओं को पवित्रता और शक्ति के जीवित प्रतीक के रूप में पूजने की परंपरा है।
इसी प्रकार, असम की राजधानी गुवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या देवी मंदिर भी शक्तिपीठों में प्रमुख है। मान्यता है कि यहां माता सती की योनि गिरी थी। यह मंदिर कामदेव द्वारा विश्वकर्मा की सहायता से निर्मित बताया जाता है। प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि यह मंदिर कभी बहुत भव्य और विशाल था, जिसकी सुंदरता की तुलना नहीं की जा सकती थी। हालांकि, इसका इतिहास कई किंवदंतियों और रहस्यों से भरा हुआ है। माना जाता है कि इसका निर्माण आर्य सभ्यता से भी पूर्व हुआ था।
कामाख्या मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है। गर्भगृह में एक प्राकृतिक योनिकुंड है, जिसे निरंतर जलधारा से सिंचित किया जाता है। श्रद्धालु इसी को शक्ति स्वरूपा कामाख्या देवी मानकर पूजते हैं। यह मंदिर तांत्रिक साधनाओं का भी प्रमुख केंद्र है और इसे तंत्र विद्याओं की जननी कहा जाता है।
नवरात्र जैसे अवसरों पर इन मंदिरों का महत्व और भी बढ़ जाता है, जब लाखों श्रद्धालु यहां शक्ति स्वरूपा देवी की आराधना के लिए आते हैं।
Created On :   27 Sept 2025 2:30 PM IST