कपालभाति से होगा चमत्कार! पेट, मस्तिष्क और त्वचा के लिए जरूरी है प्राणायाम

कपालभाति से होगा चमत्कार! पेट, मस्तिष्क और त्वचा के लिए जरूरी है प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम केवल एक श्वसन व्यायाम नहीं है, बल्कि यह शरीर और मस्तिष्क को गहराई से शुद्ध करने, चेतना को ऊंचा उठाने और मानसिक ऊर्जा को जाग्रत करने का प्राचीन, प्रमाणित और दुर्लभ साधन है।

नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। कपालभाति प्राणायाम केवल एक श्वसन व्यायाम नहीं है, बल्कि यह शरीर और मस्तिष्क को गहराई से शुद्ध करने, चेतना को ऊंचा उठाने और मानसिक ऊर्जा को जाग्रत करने का प्राचीन, प्रमाणित और दुर्लभ साधन है।

संस्कृत में 'कपाल' का अर्थ है मस्तिष्क या ललाट और 'भाति' का अर्थ है प्रकाश या चमक। अर्थात, कपालभाति वह प्राणायाम है जो मस्तिष्क को प्रकाशमान करता है। इसे शुद्धि क्रिया (षट्कर्म) और प्राणायाम दोनों माना गया है। इसमें श्वास को जोर से बाहर निकालना (फोर्सफुल एक्सलेशन) और स्वाभाविक रूप से अंदर भरना (पैसिव इनहेल) शामिल है।

कपालभाति करने की विधि सरल है। सुखासन या पद्मासन में बैठें, रीढ़ सीधी रखें और आंखें बंद करें। नाक के माध्यम से जोर से श्वास बाहर छोड़ें, जिससे पेट अपने आप अंदर खिंच जाए। श्वास अपने आप अंदर भर जाएगी। शुरुआत में इसे 20-30 बार करें और धीरे-धीरे इसे 3-5 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टि से कपालभाति प्राणायाम के अनेक लाभ हैं। सबसे पहले, यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है, पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और एसिडिटी, मोटापा और गैस जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करता है। श्वसन तंत्र के लिए यह फायदेमंद है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और अस्थमा, एलर्जी व सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में सहायक होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह ब्रेन सरकुलेशन सुधारता है, तनाव, चिंता और अवसाद कम करता है और स्मरण शक्ति व एकाग्रता बढ़ाता है। इसके अलावा, यह रक्त शुद्धि में मदद करता है, ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है और त्वचा पर निखार लाता है। हार्मोनल संतुलन में भी यह सहायक है, खासकर डायबिटीज, पीसीओएस और थायरॉइड जैसी स्थितियों में लाभकारी माना गया है।

हालांकि, कुछ सावधानियां जरूरी हैं। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मिर्गी, गर्भावस्था या हाल ही में ऑपरेशन कराए लोग इसे न करें। हमेशा खाली पेट सुबह का समय सबसे उपयुक्त है। अभ्यास की शुरुआत धीरे-धीरे करें।

योग ग्रंथों जैसे हठयोग प्रदीपिका और घेरंड संहिता में कपालभाति को षट्कर्म (शुद्धिकरण क्रिया) में शामिल किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर से दोष और टॉक्सिन्स को बाहर निकालना, आंतरिक शुद्धि करना और मन तथा मस्तिष्क को संतुलित और जागरूक बनाना है। नियमित अभ्यास से यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक स्थिरता और आंतरिक ऊर्जा में भी अद्भुत वृद्धि करता है।

Created On :   27 Sept 2025 5:55 PM IST

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