आंखें में हाई ब्लड प्रेशर की पहली चेतावनी, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

आंखें में हाई ब्लड प्रेशर की पहली चेतावनी, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण धीरे-धीरे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। हैरानी की बात यह है कि शुरुआत में मरीज को कोई दिक्कत महसूस नहीं होती और यह समय के साथ खतरनाक होती जाती है। आयुर्वेद और विज्ञान के नजरिए से देखें तो शरीर में एक ऐसा अंग है, जो इस खतरे की शुरुआती संकेत देता है और वह है 'आंखें'।

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण धीरे-धीरे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। हैरानी की बात यह है कि शुरुआत में मरीज को कोई दिक्कत महसूस नहीं होती और यह समय के साथ खतरनाक होती जाती है। आयुर्वेद और विज्ञान के नजरिए से देखें तो शरीर में एक ऐसा अंग है, जो इस खतरे की शुरुआती संकेत देता है और वह है 'आंखें'।

हमारी आंखें केवल देखने का ही माध्यम नहीं हैं, बल्कि ये शरीर के भीतर होने वाले कई बदलावों का आइना भी हैं। आयुर्वेद में आंखों को शरीर का दर्पण माना गया है और आधुनिक विज्ञान भी इसकी पुष्टि करता है।

दरअसल, आंखों की बनावट कुछ ऐसी होती है कि यहां मौजूद रक्त नलिकाएं सीधी दिखाई देती हैं। शरीर में कहीं और इन रक्त नलिकाओं को बिना सर्जरी देख पाना संभव नहीं होता। जब शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ता है, तो सबसे पहले असर इन नाजुक और पतली रक्त वाहिनियों पर पड़ता है। यह बदलाव इतना महीन होता है कि शुरुआती चरण में इसका पता केवल आंखों की जांच से ही चल सकता है।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर बना रहे तो यह आंखों की रेटिना को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इस स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में 'हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी' कहा जाता है। शुरुआत में आंखों की रक्त नलिकाएं मोटी और सख्त होने लगती हैं। यह बदलाव धीरे-धीरे दृष्टि पर असर डाल सकता है। यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो रोशनी धुंधली पड़ने लगती है और कुछ मामलों में अचानक दिखाई देना भी बंद हो सकता है।

कई बार ब्लड प्रेशर इतना बढ़ जाता है कि आंखों की नसों पर इतना दबाव बनता है कि वहां खून और तरल पदार्थ का रिसाव होने लगता है। इससे आंखों के अंदर सूजन आ जाती है। कभी-कभी रेटिना की मुख्य धमनी या नसें पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे मरीज को अचानक दिखना बंद हो सकता है। यह स्थिति एक मेडिकल इमरजेंसी होती है और इसमें फौरन इलाज जरूरी होता है।

आयुर्वेद कहता है कि आंखें वात, पित्त और कफ तीनों दोषों का संतुलन दर्शाती हैं। जब इनमें असंतुलन होता है, तो आंखें उसका पहला संकेत देती हैं। हाई ब्लड प्रेशर वात दोष के असंतुलन से जुड़ा माना गया है, जिसमें रक्त प्रवाह असामान्य रूप से तेज या रुकावट भरा हो सकता है। ऐसे में आंखों में जलन, भारीपन और धुंधलापन ये सभी संकेत रोग की गहराई को दर्शाते हैं।

इसी कारण जरूरी है कि हम आंखों की नियमित जांच को हल्के में न लें। खासकर जिन्हें पहले से ब्लड प्रेशर की शिकायत है, उन्हें साल में कम से कम एक बार रेटिना की जांच जरूर करवानी चाहिए।

Created On :   28 Sept 2025 9:54 AM IST

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