कोजागरा पूजा रातभर जागरण कर मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न, सुख-समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोजागरा पूजा मनाई जाती है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा और मिथिलांचल में चुमाओन भी कहा जाता है। यह मिथिलांचल सहित पूरे उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना से धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुराणों के अनुसार, पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस रात को 'को जाग्रत' (कौन जाग रहा है) कहते हुए मां लक्ष्मी उन घरों में प्रवेश करती हैं, जहां लोग भक्ति में लीन रहते हैं। इसलिए रातभर जागरण करना इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
इसके अलावा, शरद पूर्णिमा को चातुर्मास के शयनकाल का अंतिम चरण माना जाता है, जिसके बाद शुभ कार्यों का आरंभ होता है। इस दिन श्रद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में समृद्धि और धन का आगमन होता है।
कोजागरा पूजा की सबसे खास परंपरा है खीर को चांदनी में रखा जाना। इस दिन खीर बनाकर उसे रातभर खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं। अगले दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
मिथिलांचल में कोजागरा पूजा नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेष महत्व रखती है। मिथिलांचल में इस दिन वधू पक्ष की ओर से दूल्हे के घर कौड़ी, कपड़े, पान, मखाना, फल, मिठाई और मेवापाग मिठाई भेजी जाती हैं।
इसके पीछे की मान्यता है कि ये उपहार सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
मान्यता है कि इस दिन जुआ सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से खेला जाता है। इससे सालभर धन की कमी नहीं होती।
कोजागरा पूजा में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को दूध, दही, चावल और अन्य अनाज दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
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Created On :   6 Oct 2025 7:47 PM IST