उत्तराखंड राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को दी मंजूरी, सीएम धामी ने जताया आभार

उत्तराखंड राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को दी मंजूरी, सीएम धामी ने जताया आभार
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के कानून बनने के साथ ही प्रदेश में संचालित सभी मदरसों और अन्य अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (उत्तराखंड बोर्ड) से संबद्धता प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

देहरादून, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के कानून बनने के साथ ही प्रदेश में संचालित सभी मदरसों और अन्य अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (उत्तराखंड बोर्ड) से संबद्धता प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

यह कदम राज्य में अल्पसंख्यक शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मंजूरी को ऐतिहासिक कदम बताते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) का आभार जताया है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक–2025 को स्वीकृति प्रदान करने के लिए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) का हार्दिक आभार। राज्यपाल महोदय की स्वीकृति के साथ ही इस विधेयक के कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।"

उन्होंने आगे लिखा, "इस कानून के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा जो अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने का कार्य करेगा। साथ ही, इस विधेयक के लागू होने के बाद मदरसा जैसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेनी होगी। निश्चित तौर पर यह कानून राज्य में शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होगा।"

उत्तराखंड इस निर्णय के साथ देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां मदरसा बोर्ड को समाप्त कर अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा। ऐसे में यह कदम शिक्षा में एकरूपता लाने और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, इस निर्णय को लेकर कुछ संगठनों ने चिंता भी जताई है।

उनका कहना है कि मदरसों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बनाए रखने के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए। इसके जवाब में सरकार ने आश्वासन दिया है कि धार्मिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की छूट रहेगी, लेकिन आधुनिक शिक्षा पर प्राथमिकता होगी।

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Created On :   6 Oct 2025 11:48 PM IST

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