जोगिंदर नरवाल पीकेएल खिताब जीतने वाले कप्तान, जो अब बतौर कोच जमा रहे धाक

जोगिंदर नरवाल  पीकेएल खिताब जीतने वाले कप्तान, जो अब बतौर कोच जमा रहे धाक
जोगिंदर नरवाल ने कबड्डी के खेल में अपने शानदार प्रदर्शन और शांत स्वभाव के साथ पहचान बनाई। बतौर कप्तान प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) खिताब जीत चुके जोगिंदर नरवाल आज एक सफल कोच के तौर पर मशहूर हैं।

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। जोगिंदर नरवाल ने कबड्डी के खेल में अपने शानदार प्रदर्शन और शांत स्वभाव के साथ पहचान बनाई। बतौर कप्तान प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) खिताब जीत चुके जोगिंदर नरवाल आज एक सफल कोच के तौर पर मशहूर हैं।

जोगिंदर नरवाल प्रो कबड्डी लीग 2025 में दबंग दिल्ली केसी में बतौर कोच अपना योगदान दे रहे हैं। 20 अप्रैल 1982 को हरियाणा स्थित सोनीपत के रिनधाना गांव में जन्मे जोगिंदर नरवाल को बचपन से ही आस-पास कबड्डी का माहौल मिला। उनके गांव में इस खेल को बेहद शौक से खेला जाता है।

जोगिंदर नरवाल के बड़े भाई 1994 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। जोगिंदर ने 'आईएएनएस' को बताया कि उन्होंने भाई को देखकर ही कबड्डी शुरू की थी। उन्होंने शुरुआत में ग्रामीण इलाकों के छोटे-छोटे टूर्नामेंट खेले।

गांव में आज भी कबड्डी मिट्टी पर ही खेली जाती है। इसी माटी पर जोगिंदर अपना दांव खेला करते थे। इन मुकाबलों में टीम को कभी इनाम के तौर पर 11 हजार, तो कभी 21 हजार रुपये मिलते। यह इनाम खिलाड़ियों को प्रोत्साहित भी करता था।

जोगिंदर शानदार खिलाड़ी थे। गांव के टूर्नामेंट से निकलकर उन्होंने नेशनल और फिर इंटरनेशनल मुकाबले खेलने शुरू किए। जोगिंदर को पहले हरियाणा पुलिस में नौकरी मिली, जिसके बाद रेलवे और उसके बाद ओएनजीसी में उन्हें जॉब ऑफर की गई।

जोगिंदर नरवाल ने करीब 27-28 साल कबड्डी खेली। 17 से ज्यादा बार नेशनल खेल चुके जोगिंदर 4 बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने गोल्ड मेडल भी जीता।

जब जोगिंदर ने खेलना शुरू किया, तो बस अच्छा खेलना और नौकरी पाना ही उनका सपना था। अपने करियर में वह एक बेस्ट डिफेंडर रहे। इसके बाद जोगिंदर ने प्रो कबड्डी लीग में भी अपनी धाक जमाई। बतौर कप्तान उन्होंने सीजन 8 में दबंग दिल्ली को ट्रॉफी भी जिताई, जिसके बाद कोच के तौर पर टीम को आगे ले गए।

जोगिंदर नरवाल मानते हैं कि प्रो कबड्डी लीग ने देश में कबड्डी के खेल को बढ़ावा दिया है। आज देश का बच्चा-बच्चा इस खेल से परिचित है। पीकेएल से कबड्डी खिलाड़ियों को आर्थिक स्थिति सुधारने का मौका मिला, उन्हें पहचान भी मिली।

मैच से पहले खिलाड़ियों को शत प्रतिशत फिट रहना जरूरी है, क्योंकि पीकेएल के दौरान हर 2-3 दिन में मैच होता है। दबंग दिल्ली के पास बेहतरीन ट्रेनर्स, डॉक्टर और मेडिकल सपोर्ट है। बतौर कोच जोगिंदर खिलाड़ियों को चोट से बचाने और सही रणनीति बनाने पर फोकस करते हैं। वह मानते हैं कि कबड्डी में चोट लगना सामान्य है, इसलिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना जरूरी है।

जोगिंदर नरवाल के मुताबिक, सफल कबड्डी खिलाड़ी बनने के लिए अनुशासन बेहद जरूरी है। खिलाड़ियों को अच्छे कोच के साथ अभ्यास करना चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय टीम या बड़े टूर्नामेंट्स में अपने प्रदर्शन पर खासा ध्यान देना चाहिए। अगर खिलाड़ी का प्रदर्शन और उसका अनुशासन अच्छा है, तो पीकेएल जैसी लीग में आगे बढ़ने का मौका जरूर मिलेगा।

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Created On :   8 Oct 2025 11:04 AM IST

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