स्वदेशी का जल उठा दीप, अभियान से बदली कुम्हारों की तकदीर

स्वदेशी का जल उठा दीप, अभियान से बदली कुम्हारों की तकदीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वदेशी अपनाओ' अभियान का असर अब लोगों की सोच और बाजार दोनों पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। दीपावली के अवसर पर शहरों में जगह-जगह स्वदेशी दीपकों और वस्तुओं की दुकानें सजी हुई हैं। सड़क किनारे बैठे वेंडर (कुम्हार) न केवल अपने पारंपरिक मिट्टी के दीये बेच रहे हैं, बल्कि अब स्वदेशी उत्पादों की विविधता भी प्रस्तुत कर रहे हैं।

जोधपुर, 14 अक्‍टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वदेशी अपनाओ' अभियान का असर अब लोगों की सोच और बाजार दोनों पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। दीपावली के अवसर पर शहरों में जगह-जगह स्वदेशी दीपकों और वस्तुओं की दुकानें सजी हुई हैं। सड़क किनारे बैठे वेंडर (कुम्हार) न केवल अपने पारंपरिक मिट्टी के दीये बेच रहे हैं, बल्कि अब स्वदेशी उत्पादों की विविधता भी प्रस्तुत कर रहे हैं।

राजस्‍थान के जोधपुर के वेंडरों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के इस अभियान ने उनकी जिंदगी बदल दी है। कुम्‍हार समुदाय के लोगों का कहना है कि उनकी आमदनी में कई गुना की बढ़त हुई है।

स्थानीय कुम्हारों और कारीगरों के लिए यह दीपावली बेहद शुभ साबित हो रही है। पहले लोग चाइनीज या विदेशी वस्तुएं खरीदना पसंद करते थे, लेकिन अब स्वदेशी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। युवाओं का भी रुझान "मेक इन इंडिया" और स्वदेशी वस्तुओं की ओर बढ़ा है।

छात्रा कनिष्का और निशि गुप्ता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, 'हमें अपने स्थानीय कारीगरों का समर्थन करना चाहिए और भारत में बने उत्पादों का उपयोग करना चाहिए। इससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि कारीगरों को भी उचित सम्मान और आय मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल प्रेरणादायक है और हम युवाओं को स्वदेशी वस्तुएं ही खरीदनी चाहिए।'

कारीगर मुकेश प्रजापति बताते हैं, 'हम मिट्टी के दीये बनाते हैं। पहले बाजार में आयातित और रंगे हुए दीयों की मांग ज्यादा थी, लेकिन अब स्वदेशी पहल के बाद हस्तनिर्मित दीयों को भी पहचान और सराहना मिल रही है। अब हम रोजाना करीब 700 दीये तैयार करते हैं।'

वहीं, कुम्हार मनीष प्रजापति का कहना है कि "प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद से मिट्टी से बने स्वदेशी उत्पादों की बिक्री बढ़ी है। इससे न केवल हमारी आमदनी बढ़ी है बल्कि पूरा कुम्हार समाज आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है।'

'स्वदेशी अपनाओ' का संदेश अब केवल एक नारा नहीं रहा, बल्कि यह ग्रामीण रोजगार, आत्मनिर्भरता और भारतीय परंपरा के पुनर्जागरण का प्रतीक बन गया है।

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Created On :   14 Oct 2025 6:19 PM IST

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