मनीषा कोइराला ने बताया कठिन परिस्थितियों में तन-मन को स्वस्थ रखने का तरीका

मनीषा कोइराला ने बताया कठिन परिस्थितियों में तन-मन को स्वस्थ रखने का तरीका
कैंसर से जंग जीत चुकीं मशहूर अभिनेत्री मनीषा कोइराला अब अपनी फिटनेस और स्वस्थ जीवनशैली पर खासा ध्यान देती हैं। वह अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी हेल्दी डाइट, व्यायाम और योग की तस्वीरें और वीडियो साझा करती रहती हैं। अभिनेत्री ने गुरुवार को अपने जीवन दर्शन के बारे में बताया।

मुंबई, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। कैंसर से जंग जीत चुकीं मशहूर अभिनेत्री मनीषा कोइराला अब अपनी फिटनेस और स्वस्थ जीवनशैली पर खासा ध्यान देती हैं। वह अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी हेल्दी डाइट, व्यायाम और योग की तस्वीरें और वीडियो साझा करती रहती हैं। अभिनेत्री ने गुरुवार को अपने जीवन दर्शन के बारे में बताया।

अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वे योग के जरिए शांति और संतुलन की खोज करती नजर आईं।

मनीषा ने कैप्शन में लिखा, "जब जिंदगी अनिश्चित लगने लगती है और मन उलझनों में भटकता है तो मैं शांति की तलाश में लौटती हूं। उस शांति में, मैं योग की ओर मुड़ती हूं। यह मेरे लिए केवल व्यायाम नहीं, बल्कि अपने भीतर की यात्रा का रास्ता है। संतुलन वह नहीं है जो मैं बाहर ढूंढती हूं, बल्कि वह है जो मैं अपने भीतर बार-बार पाती हूं।"

मनीषा की यह पोस्ट उनके प्रशंसकों के बीच खूब सराही जा रही है। उनके इस संदेश ने लोगों को प्रेरित किया है कि कठिन परिस्थितियों में भी योग और ध्यान के जरिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है।

कैंसर से जंग जीतने के बाद मनीषा ने न सिर्फ अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी सक्रियता दिखाई। वह अक्सर कैंसर जागरूकता और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करती हैं।

मनीषा कोइराला ने 1989 में नेपाल से ही अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर दी थी। 1991 में उन्होंने सुभाष घई की फिल्म सौदागर से डेब्यू किया, जिसमें उनके अपोजिट विवेक मुसरान थे। इसके बाद उन्होंने 'यलगार', 'अनमोल', 'मिलन', '1942: ए लव स्टोरी', 'क्रिमिनल', 'बॉम्बे, गुड्डू', 'खामोशी', 'गुप्त, दिल से', 'अचानक', 'कारतूस', 'बागी', 'खौफ', 'खौफ','मन', 'राजा को रानी से प्यार हो गया' जैसी फिल्में दीं।

पिछली बार अभिनेत्री को संजय लीला भंसाली की ओटीटी डेब्यू, 'हीरामंडी : द डायमंड बाजार' में देखा गया था। भारतीय स्वतंत्रता युग के दौरान लाहौर की ऐतिहासिक हीरा मंडी की पृष्ठभूमि पर आधारित सीरीज ने तवायफों के जीवन की खोज की और इस बात पर गहराई से चर्चा की कि कैसे उनकी व्यक्तिगत और राजनीतिक यात्रा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की जटिलताओं से आकार लेती थी।

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Created On :   16 Oct 2025 2:10 PM IST

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