अन्नपूर्णा मंदिर सहित काशी के मंदिरों में लगा अन्नकूट का भोग, आज से बंद होंगे मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन

अन्नपूर्णा मंदिर सहित काशी के मंदिरों में लगा अन्नकूट का भोग, आज से बंद होंगे मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन
देशभर में गोवर्धन पूजा की धूम है। देश के लगभग हर राज्य में अपनी परंपरा के साथ गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट का भोग देवी-देवताओं को लगाया जा रहा है।

वाराणसी, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। देशभर में गोवर्धन पूजा की धूम है। देश के लगभग हर राज्य में अपनी परंपरा के साथ गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट का भोग देवी-देवताओं को लगाया जा रहा है।

वाराणसी में गोवर्धन पूजा के मौके पर अन्नपूर्णा मंदिर में अलग ही रौनक देखी जा रही है। दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगे हैं। ये नजारा सिर्फ अन्नपूर्णा मंदिर का ही नहीं है, बल्कि काशी के कई मंदिरों को फूलों से सजा दिया गया है और प्रसाद के तौर पर अन्नकूट भक्तों में बांटा जा रहा है।

बाबा विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा में गोवर्धन पूजन पर रौनक देखी गई है। मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना लेकर मां अन्नपूर्णा के दर पर जा रहे हैं। इस मौके पर मंदिर को फूलों और लाइटों से सजा दिया गया है और मां को 511 किलो व्यंजनों का भोग लगाया गया, जिसमें लड्डू, अलग-अलग तरह की मिठाई और हरी सब्जियां शामिल हैं। इसके साथ ही अन्नकूट की रात माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन साल भर के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

अन्नकूट का उत्साह श्रद्धालुओं में देखने को मिल रहा है। श्रद्धालु माता के प्रसाद के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। काशी में इस दिन को उत्साह के रूप में मनाने की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है। मंदिर पहुंचे श्रद्धालु कन्हैया दुबे ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, "इस मंदिर की परंपरा बहुत खास है क्योंकि हर साल माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा साल के चार दिन दर्शन देती है, लेकिन इस बार पांच दिन तक मां ने भक्तों को दर्शन दिए हैं। भगवान शिव ने खुद यहां आकर भिक्षा लेकर अन्नपूर्णा मां की स्थापना की थी, और तब से ये परंपरा चली रही है।"

वहीं एक अन्य भक्त ओम गुप्ता ने कहा कि "इस बार मंदिर में भीड़ को देखते हुए खास व्यवस्था की गई है। मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है लेकिन प्रशासन अच्छे से दर्शन की व्यवस्था करा रहा है।"

बता दें कि मां अन्नपूर्णा के मंदिर की मान्यता बहुत है। माना जाता है कि काशी को आपदा और अन्न की कमी से बचाने के लिए मां पार्वती और शिव यहां अवतरित हुए थे। मां अन्नपूर्णा मां पार्वती का ही रूप है।

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Created On :   22 Oct 2025 9:34 PM IST

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