बिहार चुनाव भागलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सियासी जंग

बिहार चुनाव  भागलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सियासी जंग
भागलपुर, गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा बिहार का तीसरा सबसे बड़ा शहर, ऐतिहासिक और औद्योगिक महत्व के लिए जाना जाता है। प्राचीन काल में इसे चंपा नगरी के नाम से जाना जाता था। भागलपुर विधानसभा सीट, जो शहर और आसपास के क्षेत्रों को कवर करती है, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

पटना, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। भागलपुर, गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा बिहार का तीसरा सबसे बड़ा शहर, ऐतिहासिक और औद्योगिक महत्व के लिए जाना जाता है। प्राचीन काल में इसे चंपा नगरी के नाम से जाना जाता था। भागलपुर विधानसभा सीट, जो शहर और आसपास के क्षेत्रों को कवर करती है, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

भागलपुर को भारत का 'सिल्क सिटी' कहा जाता है, जहां की भागलपुरी सिल्क अपनी कोमल बनावट के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां साड़ियां, शॉल, कुर्तियां और अन्य परिधानों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। सिल्क उद्योग के कारण यहां मारवाड़ी समुदाय की भी अच्छी-खासी आबादी है।

भागलपुर में कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थान स्थित हैं, जिसमें जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, बिहार कृषि विश्वविद्यालय और हाल ही में स्थापित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) शामिल हैं। पटना के बाद भागलपुर बिहार का एकमात्र शहर है, जहां तीन प्रमुख शैक्षणिक संस्थान हैं।

यही नहीं, यहां का तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय बिहार के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है। तिलका मांझी, जो पहाड़िया-आदिवासी समुदाय के पहले स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं, ने 1780 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया था।

धार्मिक दृष्टि से भी भागलपुर महत्वपूर्ण है। महर्षि मेही परमहंस आश्रम कुप्पाघाट में स्थित है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों का प्रमुख केंद्र है। यहां की प्राचीन गुफा को महाभारत काल से जोड़ा जाता है।

भागलपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास बताता है कि 1951 से अब तक 18 चुनावों में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दबदबा रहा है। कांग्रेस ने 8 बार और भाजपा ने 6 बार इस सीट पर जीत हासिल की है। जनसंघ ने तीन बार और जनता पार्टी ने एक बार यहां जीत दर्ज की।

1990 और 2000 के दशक में यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती थी, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने 1995 से 2010 तक लगातार पांच बार विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 2014 के उपचुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत शर्मा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रोहित पांडे को कड़े मुकाबले में हराकर लगातार तीसरी बार जीत हासिल की।

भागलपुर विधानसभा सीट की जनसांख्यिकी में विविधता इसकी खासियत है। भागलपुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इसके अलावा वैश्य, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, राजपूत और अनुसूचित जाति के वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह सामाजिक विविधता क्षेत्र की राजनीति को और रोचक बनाती है।

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Created On :   23 Oct 2025 9:28 PM IST

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