अलौली विधानसभा पासवान परिवार का गढ़, बेरोजगारी और विकास बड़ा मुद्दा

खगड़िया, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर पक्ष और विपक्ष के नेता एक-एक सीट पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। अलौली विधानसभा भी बेहद खास है, क्योंकि इसे पासवान परिवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता है।
दिवंगत रामविलास पासवान के राजनीतिक सफर की शुरुआत अलौली विधानसभा सीट से हुई थी, जो आज भी पासवान परिवार के प्रभाव का प्रतीक बनी हुई है। रामविलास पासवान ने मात्र 23 वर्ष की उम्र में 1969 में यहां पहली और आखिरी जीत हासिल की। 1972 में हार के बाद वे केंद्र की राजनीति में व्यस्त हो गए, जबकि उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने सात बार (छह बार लगातार) यह सीट जीती। दोनों भाइयों ने समाजवादी दलों जैसे जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), आरजेडी और एलजेपी का प्रतिनिधित्व किया। रामविलास ने एलजेपी की स्थापना की, जो आज चिराग पासवान के नेतृत्व में एनडीए का हिस्सा है।
यह पूरी तरह ग्रामीण सीट है, जहां शहरीकरण की कमी विकास की चुनौतियों को उजागर करती है। राजनीतिक रूप से अलौली खगड़िया जिले का एक महत्वपूर्ण सामुदायिक विकास खंड है, जो खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। 1962 में स्थापित यह सीट एससी के लिए आरक्षित है और इसमें अलौली ब्लॉक के साथ खगड़िया ब्लॉक की 18 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। खगड़िया जिला मुख्यालय से 19 किमी उत्तर में स्थित अलौली लूना और सालंदी नदियों के किनारे बसा है। गंगा के उपजाऊ मैदानों जैसा सपाट इलाका यहां धान, गेहूं और सब्जियों की खेती के लिए आदर्श है। अधिकांश निवासी खेती, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में लगे हैं। हस्तशिल्प जैसे बुनाई, मिट्टी के बर्तन और बांस उत्पाद भी लोकप्रिय हैं, लेकिन सीमित रोजगार के कारण युवा पलायन आम है। लोग खगड़िया, पटना या अन्य राज्यों की ओर रोजगार की तलाश में जाते हैं।
अगर पिछले चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो अलौली में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने 1962, 1967, 1972 और 1980 में चार जीत हासिल की। समाजवादी दलों ने 11 बार सफलता पाई, जिसमें जनता दल, जदयू, राजद और लोजपा को दो-दो, जबकि संयुक्त समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी और लोक दल को एक-एक बार जीत नसीब हुई। हालिया चुनावों में राजद का दबदबा रहा। 2015 में जदयू-राजद महागठबंधन ने 24,470 वोटों से जीत दर्ज की, जहां पशुपति पारस हार गए। 2020 में चिराग पासवान की लोजपा ने एनडीए से बगावत की, जिससे वोट बंटे और राजद के रामवृक्ष सदा ने मात्र 2,773 वोटों से जीत हासिल की। लोजपा तीसरे स्थान पर रही, लेकिन 26,386 वोट लेकर राजद की जीत को चुनौती दी।
चुनाव आयोग की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, अलौली की कुल जनसंख्या 4,46,637 है, जिसमें पुरुष 2,29,399 और महिलाएं 2,17,238 हैं। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 2,63,554 है, जिसमें पुरुष 1,37,501, महिलाएं 1,26,042 और थर्ड जेंडर 11 हैं।
2025 चुनाव में अलौली पहली चरण (6 नवंबर) में मतदान होगा। बेरोजगारी, शिक्षा, प्रवासन और कानून व्यवस्था प्रमुख मुद्दे हैं। जातीय समीकरण में पासवान वोट निर्णायक साबित होंगे।
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Created On :   23 Oct 2025 10:57 PM IST