दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘ताज स्टोरी’ के खिलाफ याचिका की खारिज, कहा, ‘हम सुपर सेंसर बोर्ड नहीं हैं’

दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘ताज स्टोरी’ के खिलाफ याचिका की खारिज, कहा, ‘हम सुपर सेंसर बोर्ड नहीं हैं’
दिल्ली हाई कोर्ट ने अभिनेता परेश रावल की फिल्म ‘ताज स्टोरी’ के खिलाफ दायर की गई याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि फिल्म को मिले सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के खिलाफ पहले केंद्र सरकार के सामने रिवीजन अर्जी दाखिल करें।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने अभिनेता परेश रावल की फिल्म ‘ताज स्टोरी’ के खिलाफ दायर की गई याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि फिल्म को मिले सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के खिलाफ पहले केंद्र सरकार के सामने रिवीजन अर्जी दाखिल करें।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वह सुपर सेंसर बोर्ड नहीं है। न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि हाईकोर्ट आने से पहले केंद्र सरकार के सामने अर्जी क्यों नहीं दाखिल की गई? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि याचिकाकर्ता ने अर्जी में अभिनेता परेश रावल को क्यों पक्षकार बनाया? फिल्म के कंटेंट को लेकर एक्टर की कहां जिम्मेदारी बनती है?

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने इस याचिका की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने कहा, "क्या हम सुपर सेंसर बोर्ड हैं?"

हालांकि, याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत के पास पर्याप्त शक्तियां हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हमारी सीमाओं को समझने की कोशिश करें। हम सुपर सेंसर बोर्ड नहीं हैं। ऐसे मामलों में मुश्किल यह है कि कई बार पक्षकारों और वकीलों पर आरोप लग जाते हैं। इससे बचें। आपको अधिनियम के दायरे में रहकर अपना पक्ष रखना होगा। कृपया नियमों के किसी भी उल्लंघन की ओर ध्यान दिलाएं।''

हाईकोर्ट की फटकार के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली है। इससे फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हो गया है। फिल्म ‘ताज स्टोरी’ 31 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है। इसमें परेश रावल एक वकील की भूमिका निभाते दिखाई देंगे।

बता दें कि यह याचिका दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता शकील अब्बास ने दायर की थी। इसमें ‘ताज स्टोरी’ के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता परेश रावल को पक्षकार बनाया गया। साथ ही याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को भी पक्षकार बनाया था।

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि फिल्म ताजमहल और उससे जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी को गलत तरीके से पेश करती है, जिससे जनता के बीच भ्रम फैल सकता है और धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव पैदा होने का खतरा है। याचिकाकर्ता का कहना था कि सीबीएफसी ने ट्रेलर और फिल्म की सामग्री की जिम्मेदारी से जांच नहीं की, जिससे जनता में भ्रम फैल सकता है।

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Created On :   30 Oct 2025 5:08 PM IST

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