देश में तीसरी कक्षा लागू होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग का पाठ्यक्रम
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश में तीसरी कक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय व्यापक स्तर पर तैयारी कर रहा है।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2026-27 से देश के सभी स्कूलों में कक्षा 3 से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के अनुरूप होगा। शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
विभाग का कहना है कि भविष्य के लिए तैयार शिक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण अंग के रूप में यह पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है। इस योजना पर स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, सीबीएसई, एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति सहित विभिन्न राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस संयुक्त प्रयास में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के तहत एक समावेशी और सार्थक पाठ्यक्रम तैयार करने पर काम किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग शिक्षा विद्यार्थियों में तार्किक सोच, विश्लेषणात्मक क्षमता और समस्या समाधान कौशल को विकसित करेगी। साथ ही जनहित के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग की दिशा में यह पहला कदम साबित होगी। इस प्रयास को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित की है। स्टेकहोल्डर परामर्श बैठक में सीबीएसई, एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति सहित कई विशेषज्ञ संस्थानों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
इस अवसर पर सीबीएसई ने घोषणा की कि उसने आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग का पाठ्यक्रम तैयार करेगी। स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिक्षा को 'द वर्ल्ड अराउंड अस' से जोड़ा जाएगा। यानी इसे एक बेसिक यूनिवर्सल स्किल के रूप में देखा जाए। पाठ्यक्रम को व्यापक व समावेशी बनाया जाएगा। हर बच्चे की विशिष्ट क्षमता प्राथमिकता है। नीति-निर्माताओं का कार्य न्यूनतम स्तर तय करना और समय-समय पर उसे नए युग की जरूरतों के अनुसार अपडेट करना है।
शिक्षा सचिव संजय कुमार ने शिक्षकों के प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री को इस पहल की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी और सीबीएसई के बीच संयोजन समिति के माध्यम से पाठ्यक्रम की गुणवत्ता, ढांचा और समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय अनुभवों का अध्ययन किया जाएगा, परंतु भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखकर ही रूपरेखा तैयार की जाएगी।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, दिसंबर 2025 तक संसाधन सामग्री, हैंडबुक और डिजिटल संसाधन तैयार कर लिए जाएंगे। शिक्षक प्रशिक्षण भी कक्षा-वार एवं समयबद्ध ढंग से पूरा होगा। मंत्रालय के अनुसार, यह पहल न केवल बच्चों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी बल्कि उन्हें नैतिक, रचनात्मक और समस्या समाधान आधारित सोच विकसित करने में भी सक्षम बनाएगी, ताकि वे भविष्य के डिजिटल भारत के जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
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Created On :   30 Oct 2025 8:32 PM IST











