गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रतधारी इस तरह करें भगवान गणेश की पूजा, दूर होता है शारीरिक और आर्थिक कष्ट

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रतधारी इस तरह करें भगवान गणेश की पूजा, दूर होता है शारीरिक और आर्थिक कष्ट
मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की तृतीय 8 नवंबर सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी। इस दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी है, जो कि भगवान गणेश को समर्पित है।

नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की तृतीय 8 नवंबर सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी। इस दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी है, जो कि भगवान गणेश को समर्पित है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार को सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा रात 11 बजकर 14 मिनट तक वृषभ राशि में रहेंगे। इसके बाद मिथुन राशि में गोचर करेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है, संकटों का नाश करने वाली। इसका उल्लेख स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति का वास होता है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर पति की लंबी आयु, सौभाग्य और पारिवारिक खुशहाली के लिए नवविवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं।

साथ ही अविवाहित कन्याएं भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को कर सकती हैं। पुराणों में उल्लेख है कि इस व्रत से न केवल भौतिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि मानसिक तनाव और आर्थिक संकट भी समाप्त हो जाते हैं।

इस तिथि पर विधि-विधान से व्रत रखने के लिए ब्रह्म-मुहूर्त में उठें। नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर गणेशजी की प्रतिमा रखें और उन पर गंगाजल से छिड़काव करें।

इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दूर्वा, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करने के बाद वह श्री गणपति को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का दान ब्राह्मणों को करें और 5 भगवान के चरणों में रखकर बाकी प्रसाद के रूप में वितरित करें।

पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष और संकटनाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। "ऊं गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। शाम के समय गाय को हरी दूर्वा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   7 Nov 2025 9:25 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story