चारों श्रम संहिताओं का कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स ने किया स्वागत, बताया ऐतिहासिक बदलाव

चारों श्रम संहिताओं का कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स ने किया स्वागत, बताया ऐतिहासिक बदलाव
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 14 श्रमिक संगठनों का गैर-राजनीतिक संयुक्त महासंगठन ‘द कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स’ ने भारत सरकार द्वारा लागू किए गए चारों श्रम संहिताओं का स्वागत किया है। महासंगठन ने कहा है कि यह कदम देश के श्रम कानूनों में एक ऐतिहासिक बदलाव है, क्योंकि इससे दशकों पुराने, बिखरे हुए और औपनिवेशिक सोच पर आधारित नियमों की जगह एक आधुनिक, पारदर्शी और श्रमिक-कल्याण केंद्रित व्यवस्था स्थापित हो रही है।

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 14 श्रमिक संगठनों का गैर-राजनीतिक संयुक्त महासंगठन ‘द कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स’ ने भारत सरकार द्वारा लागू किए गए चारों श्रम संहिताओं का स्वागत किया है। महासंगठन ने कहा है कि यह कदम देश के श्रम कानूनों में एक ऐतिहासिक बदलाव है, क्योंकि इससे दशकों पुराने, बिखरे हुए और औपनिवेशिक सोच पर आधारित नियमों की जगह एक आधुनिक, पारदर्शी और श्रमिक-कल्याण केंद्रित व्यवस्था स्थापित हो रही है।

महासंगठन की तरफ से कहा गया है कि आज जब हमारा देश विकसित भारत 2047 की ओर तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में यह सुधार न केवल समय की मांग हैं, बल्कि देश के हर श्रमिक को गरिमा, पहचान, सुरक्षा और स्थिरता देने की दिशा में बड़ा कदम है। लंबे समय तक देश की श्रम व्यवस्था ऐसी संरचनाओं पर टिकी रही जो मुख्यतः कामगारों पर नियंत्रण और शासन की दृष्टि से तैयार की गई थीं। इसमें सदैव श्रमिकों के कल्याण के बिंदुओं का अभाव था।

महासंगठन द्वारा जारी बयान में आगे कहा गया है कि दुख की बात है कि आज भी कुछ राजनीतिक संगठनों में वही पुरानी सोच जमी हुई है। वे युवाओं और श्रमिकों को भ्रम में डालकर टकराव और अस्थिरता का माहौल बनाते हैं, जबकि देश का युवा आज कौशल, अवसर, सम्मान और एक स्थिर करियर चाहता है। ऐसे समय में ‘कंसेंट’ मानता है कि भारत के श्रमिक को संघर्ष और राजनीति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, कानूनी संरक्षण और सकारात्मक संवाद की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। वास्तव में यही “श्रमेव जयते” की असली भावना है।

बयान में कहा गया कि श्रम संहिताओं का सबसे महत्वपूर्ण और जीवन-परिवर्तनकारी पहलू यह है कि पहली बार देश के असंगठित श्रमिक, प्रवासी मजदूर, गिग वर्कर, प्लेटफॉर्म वर्कर और करोड़ों अनौपचारिक कामगार एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत आए हैं। अब उन्हें ESIC जैसी स्वास्थ्य सुविधा, पेंशन आधारित लाभ, दिव्यांग सहायता, मातृत्व सुरक्षा और कल्याण योजनाओं की पोर्टेबिलिटी का कानूनी अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही हर श्रमिक को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य हो गया है और पूरे देश में समान कार्य का समान वेतन तय होगा, जिससे मनमानी, लैंगिक भेदभाव, शोषण और बिना रिकॉर्ड वाली नौकरियों का दौर खत्म होगा। श्रम संहिताएं सुरक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी एक बड़े बदलाव की शुरुआत हैं। यह स्पष्ट संदेश है कि श्रमिक कल्याण सिर्फ कानून का हिस्सा नहीं, बल्कि देश की उत्पादकता, उद्योगों की सुरक्षा और आर्थिक विकास की बुनियाद है।

महासंगठन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इन सुधारों को बनाने में भारत सरकार ने देशभर के राज्यों, उद्योगों, ट्रेड यूनियनों और विशेषज्ञों से विस्तृत और वर्षों तक चलने वाली परामर्श प्रक्रिया अपनाई। अनेक सुझावों को अंतिम नियमों में शामिल किया गया, जिससे यह पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनी रही। महासंगठन देश के सभी श्रमिकों, यूनियनों, नियोक्ताओं और विशेष रूप से देश की युवा शक्ति से आग्रह करता है कि इन सुधारों को समझें और सकारात्मक दृष्टि से अपनाएं। भारत का युवा डर, अफवाह या राजनीतिक गुमराहियों का पात्र नहीं है। इस समय वह सम्मान, पहचान, सुरक्षा, कौशल और आगे बढ़ने के अवसरों वाला भविष्य चाहता है। हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ भारत सरकार के साथ खड़े हैं और इसे देश में ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रभावी ढंग से लागू किए जाने के पक्ष में हैं।

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Created On :   22 Nov 2025 11:43 PM IST

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