आंध्र प्रदेश उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने श्री सत्य साईं उच्च शिक्षा संस्थान के दीक्षांत समारोह में भाग लिया
पुट्टपर्थी, 22 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शनिवार को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी स्थित श्री सत्य साईं उच्च शिक्षा संस्थान (एसएसएसआईएचएल) के 44वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
उपराष्ट्रपति ने स्नातकों को संबोधित करते हुए श्री सत्य साईं बाबा के उस दृष्टिकोण को याद किया, जिसमें सेवा ही जीवन पद्धति है पर जोर दिया गया है। उन्होंने संस्थान द्वारा चरित्र निर्माण, ज्ञान और सभी धर्मों के प्रति सम्मान पर दिए जा रहे ध्यान की सराहना की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अभूतपूर्व प्रगति के शिखर पर खड़ा है और नवाचार के वैश्विक केंद्र और सतत विकास के प्रतीक के रूप में उभर रहा है।
उन्होंने एआई, बिग डेटा, मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने की आवश्यकता पर बल देते हुए स्नातकों से विकसित भारत 2047 के विजन में सार्थक योगदान देने का आह्वान किया।
इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, आंध्र प्रदेश सरकार के मानव संसाधन विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री नारा लोकेश, एसएसएसआईएचएल के कुलाधिपति के. चक्रवर्ती तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति, शिक्षण संकाय के सदस्य, छात्र और अभिभावक उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने 'एक्स' पर पोस्ट कर बताया कि श्री सत्य साईं हवाई अड्डे, पुट्टपर्थी पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
इससे पहले 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में सत्य साईं बाबा के शताब्दी समारोह कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं बाबा के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकटों का एक सेट जारी किया था।
कार्यक्रम में पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन, केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापु और जी किशन रेड्डी भी उपस्थित रहे।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "श्री सत्य साईं बाबा का यह जन्मशताब्दी वर्ष हमारी पीढ़ी के लिए सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक दिव्य वरदान है। आज भले ही वे हमारे बीच दैहिक स्वरूप में नहीं हैं, लेकिन उनकी शिक्षा, उनका प्रेम और उनकी सेवा भावना आज भी करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन कर रही हैं।''
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Created On :   22 Nov 2025 11:52 PM IST












