प्रियंका चतुर्वेदी ने दूरसंचार मंत्री को घेरा, कहा- नोटिफिकेशन पढ़ें, बेवजह विवाद न करें
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) की नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने दूरसंचार मंत्रालय के संचार साथी ऐप से जुड़े नोटिफिकेशन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दूरसंचार मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पूरे नोटिफिकेशन को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि यह कहना कि बेवजह का विवाद पैदा किया जा रहा है, बिल्कुल उचित नहीं है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "मैं दूरसंचार मंत्री से अनुरोध करती हूं कि नोटिफिकेशन को पढ़ें। पेज 2, प्वाइंट 7(बी) साफ कहता है कि ऐप की कोई भी फंक्शनलिटी न तो डिसेबल की जाएगी और न ही उसे सीमित किया जाएगा।"
उनका इशारा सरकार द्वारा मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप की अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन नीति पर था, जिसके चलते यह मुद्दा चर्चा में है।
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने नवंबर 2025 में एक विस्तृत नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें मोबाइल फोन निर्माताओं और आयातकों के लिए कई दिशानिर्देश अनिवार्य किए गए हैं।
नोटिफिकेशन के अनुसार, आईएमईआई से छेड़छाड़ पर सख्त प्रतिबंध है। नए टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी नियम 2024 के तहत कोई भी व्यक्ति जो मोबाइल के आईएमईआई नंबर को बदलने, मिटाने या नकली आईएमईआई वाले उपकरणों की सप्लाई/कस्टडी रखने का दोषी पाया जाता है, तो उस पर कार्रवाई होगी। जरूरत पड़ने पर सरकार मोबाइल निर्माताओं को ऐसे उपकरणों की जांच में मदद का निर्देश दे सकती है।
नोटिफिकेशन के प्वाइंट 7 के तहत दूरसंचार विभाग ने बड़ा निर्णय लिया है। नोटिफिकेशन जारी होने के 90 दिनों के भीतर भारत में उपयोग के लिए बनाए या आयात किए गए सभी मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा।
ऐप यूजर को पहली बार फोन चालू करते समय दिखाई देना चाहिए और उसकी फंक्शनलिटी को न तो रोका जा सकता है, न बंद किया जा सकता है।
इसी प्वाइंट के आधार पर प्रियंका चतुर्वेदी ने मंत्रालय के दावे पर सवाल उठाए हैं।
वहीं, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि संचार साथी एक जासूसी ऐप है। नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। केंद्र सरकार इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी बात पर चर्चा करने से मना कर रही है। इसलिए सदन नहीं चल रही है।
कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह कदम उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। जबरन ऐप इंस्टॉलेशन निजता को प्रभावित कर सकता है। वहीं सरकार का दावा है कि यह कदम पूरी तरह सुरक्षा के लिए है और कोई भी फंक्शन बाध्यकारी नहीं है। इस मुद्दे पर संसद और सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है।
बता दें कि नोटिफिकेशन में पहले से बने और बाजार में मौजूद फोन में भी कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए ऐप को पुश करने का प्रयास करना होगा।
दूरसंचार विभाग का कहना है कि संचार साथी ऐप उपभोक्ताओं को कई सुविधाएं देता है, जिसमें मोबाइल आईएमईआई की जांच, खोए/चोरी हुए मोबाइल की रिपोर्ट, आईएमईआई से छेड़छाड़ की जानकारी देना और साइबर सुरक्षा में सहायता करना शामिल है।
सरकार का दावा है कि नकली आईएमईआई वाले फोन टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा हैं, इसलिए यह कदम जरूरी है।
सभी मोबाइल निर्माताओं और आयातकों को 120 दिनों के भीतर डॉट को अनुपालन रिपोर्ट सौंपनी होगी। अगर निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तो टेलीकॉम एक्ट 2023 और साइबर सिक्योरिटी रूल्स 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि यह ऐप अनिवार्य नहीं है और यूजर चाहे तो इसे आसानी से अपने मोबाइल से डिलीट कर सकते हैं या फिर पंजीकरण कर इस्तेमाल कर सकते हैं।
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Created On :   2 Dec 2025 3:42 PM IST












