राष्ट्रीय: प्रधानमंत्री जन धन योजना जन-साधारण के वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण के 11 वर्ष

नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में आज लगभग हर व्यक्ति का बैंक खाता होना आम बात है, लेकिन आजादी के 65 साल बाद भी लगभग एक दशक पहले तक देश के करीब आधे परिवारों के लिए बैंकिंग तक पहुंच एक सपना था।
गरीब और वंचित लोग, खासकर ग्रामीण इलाकों में, औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से दूर थे, इसलिए उनके पास अपनी बचत घर पर रखने और अत्यधिक ब्याज दर वसूलने वाले साहूकारों से ऋण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वित्तीय सुरक्षा के इस अभाव का मतलब था कि वे बेहतर भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि गरीबों के लिए निर्धारित 100 पैसे के लाभ में से केवल 15 पैसे ही असली लाभार्थी तक पहुंचते थे और बाकी 85 पैसे बिचौलिए हड़प जाते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में शुरू की गई विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना-प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की शुरुआत एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हुई। 28 अगस्त 2025 को यह योजना अपनी 11वीं वर्षगांठ पूरी करेगी और इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि इसने देश के करोड़ों लोगों, विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों को देश की आर्थिक मुख्यधारा में शामिल कर सम्मानजनक जीवन प्रदान किया है।
जन-केंद्रित योजनाओं जैसे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, पीएम-किसान, मनरेगा में बढ़ी मजदूरी और बीमा कवर की नींव पर, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल बन गई है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएमजेडीवाई के अंतर्गत अब तक 55.90 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जबकि मार्च 2015 में यह संख्या 14.72 करोड़ थी। इनमें से 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। जन-धन खाते बचत व डिजिटल लेनदेन की आदतों को बढ़ावा देते हैं, जिससे जमा राशि मार्च 2015 के 15,670 करोड़ रुपए की तुलना में बढ़कर अब 2.63 लाख करोड़ रुपए हो गई है।
जीरो बैलेंस खाता, निःशुल्क रुपे कार्ड पर 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा और 10,000 रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी सेवाओं के जरिए पीएमजेडीवाई ने कमजोर वर्गों और निम्न-आय समूहों को सशक्त बनाया है। अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में भारी वृद्धि के साथ नामांकन जनवरी 2025 तक 7.33 करोड़ तक पहुंच गया। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) में 22.52 करोड़ नामांकन हुए, जिनमें 8.8 लाख दावों पर 17,600 करोड़ वितरित किए गए। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) ने 49.12 करोड़ लोगों को कवर किया और 2,994.75 करोड़ रुपए के दुर्घटना दावे निपटाए।
जन-धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) त्रिमूर्ति में पीएमजेडीवाई एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है, जिससे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से बिचौलियों का सफाया हुआ, जो दशकों से जनता को लूट रहे थे। जनधन खातों के माध्यम से अब 321 सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंच रहा है, जबकि 2013-14 में यह संख्या 28 थी। इनमें आयुष्मान भारत, किसानों के लिए पीएम-किसान, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि, फसल बीमा योजना, गरीब कल्याण योजना, पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना या दीनदयाल अंत्योदय जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं।
डीबीटी के तहत कुल हस्तांतरित राशि 7,400 करोड़ (2013-14) से बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपए हो गई है। अनुमान है कि इससे सरकार को 4.31 लाख करोड़ की बचत हुई है और पिछले नौ वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से मुक्ति मिली है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना ने गरीबों को सूदखोर साहूकारों से मुक्ति दिलाई है, क्योंकि अब जन धन खाताधारक बैंकिंग सुविधाओं और ऋण योजनाओं के पात्र हैं। मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत ऋण 2018-19 से 2023-24 तक 9.8 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़े हैं, जिससे लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जुड़कर अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) महिलाओं के सशक्तिकरण के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरी है, खासकर असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए, जिनकी औपचारिक वृद्धावस्था आय सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच नहीं थी। उनकी अनियमित आय और सामाजिक सुरक्षा की कमी ने उनकी वित्तीय स्थिति को और भी कमजोर कर दिया था।
पीएमजेडीवाई ने महिलाओं को वित्तीय समावेशन के तहत लाकर आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। यह इस बात से स्पष्ट है कि कुल जन धन खातों में से 30.37 करोड़ (55.7 प्रतिशत) खाते महिलाओं के हैं। पीएमजेडीवाई ने महिलाओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना जैसी सामाजिक सुरक्षा और ऋण योजनाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।
नवंबर 2023 तक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत 44.46 करोड़ ऋणों में से 69 प्रतिशत ऋण महिलाओं को दिए गए हैं, जिनकी औसत राशि 2015-16 के 39,000 से बढ़कर 2023-24 में 1 लाख रुपए हो गई है। वहीं, 27 जनवरी 2025 तक, स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 1.94 लाख महिला उद्यमियों को लाभ मिला है और बैंकों ने महिलाओं और अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 62,426.52 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।
पीएमजेडीवाई ने 38 करोड़ से ज्यादा निःशुल्क रुपे कार्ड जारी किए हैं और 79.61 लाख पीओएस, एमपीओएस मशीनों की स्थापना की है। बैंकिंग सेवाओं की घर-घर पहुंच के लिए भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ यूपीआई जैसी मोबाइल-आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरुआत और रुपे कार्ड के माध्यम से यूपीआई लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ रुपए हो गया है। इसी प्रकार पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 28.28 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ रुपए हो गई है।
भारत आज कुल भुगतान मात्रा में 48.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ रीयल-टाइम भुगतान में एक वैश्विक अग्रणी है, जिसमें पीएमजेडीवाई करोड़ों वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) को वित्तीय समावेशन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। विश्व बैंक की ग्लोबल फाइंडेक्स 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 89 प्रतिशत वयस्कों के पास बैंक खाता है, जो 2011 में केवल 35 प्रतिशत था। विश्व बैंक की जी20 रिपोर्ट से पता चला है कि भारत ने केवल 6 वर्षों में वह लक्ष्य हासिल कर लिया, जिसे हासिल करने में सामान्यतः 47 वर्ष लगते। 1.80 करोड़ बैंक खाते खोलकर भारत ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। एसबीआई की 2021 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वित्तीय समावेशन में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।
सुझाव : बैंक खातों के लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाएं। बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं के नेटवर्क का विस्तार करें। ग्रामीण भारत की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहकारी बैंकों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए मजबूत किया जाना चाहिए। लाभार्थियों को जन धन योजना का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए पीएमजेडीवाई खाताधारकों की जरूरतों के अनुरूप सरल और नवीन वित्तीय उत्पाद तैयार किए जाएं।
करोड़ों व्यक्तियों, विशेषकर वंचित वर्ग को सशक्त बनाकर पीएमजेडीवाई ने 2047 तक विकसित भारत के लिए समावेशी आर्थिक विकास की मजबूत नींव रखी है। अब समय है कि प्रत्येक नागरिक भारत की आर्थिक प्रगति में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए अपना योगदान दे।
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Created On :   1 Aug 2025 5:22 PM IST