अपराध: हैदराबाद कोर्ट ने साहिती इंफ्राटेक के पूर्व निदेशक संदु पूर्णचंद्र राव को 15 दिन की हिरासत में भेजा

हैदराबाद  कोर्ट ने साहिती इंफ्राटेक के पूर्व निदेशक संदु पूर्णचंद्र राव को 15 दिन की हिरासत में भेजा
मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किए गए मेसर्स साहिती इंफ्राटेक वेंचर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआईवीआईपीएल) के पूर्व निदेशक और सेल्स व मार्केटिंग प्रमुख संदू पूर्णचंद्र राव को कोर्ट ने 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ईडी के हैदराबाद स्थित जोनल कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत एक दिन पहले ही उन्हें गिरफ्तार किया था।

हैदराबाद, 26 अगस्त (आईएएनएस)। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किए गए मेसर्स साहिती इंफ्राटेक वेंचर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआईवीआईपीएल) के पूर्व निदेशक और सेल्स व मार्केटिंग प्रमुख संदू पूर्णचंद्र राव को कोर्ट ने 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ईडी के हैदराबाद स्थित जोनल कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत एक दिन पहले ही उन्हें गिरफ्तार किया था।

ईडी ने संदू पूर्णचंद्र राव को मंगलवार को हैदराबाद के नामपल्ली स्थित विशेष न्यायालय (पीएमएलए) कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

ईडी ने तेलंगाना पुलिस द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। आरोप है कि कंपनी ने एक 'प्री-लॉन्च ऑफर' के तहत विश्वस्तरीय गेटेड रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट का प्रचार किया और फ्लैट खरीदने के इच्छुक ग्राहकों से भारी रकम वसूली। लेकिन बाद में न तो फ्लैट दिए गए और न ही पैसे लौटाए गए। इस तरह कंपनी ने लोगों की कड़ी मेहनत की कमाई को हड़प कर बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया।

इस मामले में एसआईवीआईपीएल और इसके सहयोगी समूहों द्वारा चलाए गए विभिन्न रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को लेकर निवेशकों और खरीदारों की शिकायतों पर कई एफआईआर दर्ज की गईं।

ईडी की जांच में सामने आया कि 700 से अधिक होमबायर्स को फ्लैट्स और विला देने का वादा किया गया था, लेकिन न तो प्रोजेक्ट पूरे किए गए और न ही ग्राहकों को पैसे लौटाए गए। इस तरह कुल मिलाकर करीब 360 करोड़ की ठगी की गई।

ईडी की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि साहिति इंफ्राटेक वेंचर्स इंडिया ने जिन परियोजनाओं की बिक्री की, उनके लिए रेरा या एचएमडीए से कोई आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी। इतना ही नहीं, परियोजनाओं के लिए एस्क्रो अकाउंट भी नहीं बनाया गया था, जो खरीदारों की सुरक्षा के लिए जरूरी होता है। 800 करोड़ से अधिक की राशि निवेशकों से जुटाई गई, जिनमें बड़ी मात्रा में नकद भी शामिल था।

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Created On :   26 Aug 2025 9:42 PM IST

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