राष्ट्रीय: संविधान हत्या दिवस मनानेे का निर्णय भाजपा की बौखलाहट जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य

संविधान हत्या दिवस मनानेे का निर्णय भाजपा की बौखलाहट  जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य
केंद्र की बीजेपी सरकार ने 25 जून को हर साल संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की हत्या पर पहला मुहर 25 मई 2014 को लगा, जब मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए।

रांची, 13 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्र की बीजेपी सरकार ने 25 जून को हर साल संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की हत्या पर पहला मुहर 25 मई 2014 को लगा, जब मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए।

झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा को घेरते हुए कहा, " हमारा संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का बुनियादी ढांचा है। यह एक तरह से देश का धर्मग्रंथ है, लेकिन भारत सरकार अब उसकी हत्या का दिवस मनाएगी।"

भाजपा सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा, "इस लोकसभा चुनाव में भाजपा की संविधान को बदलने की नीयत उस समय सामने आई, जब 400 पार का नारा लगा। इससे बेचैन लोगों ने भाजपा को 303 से 240 पर कर दिया। अब इसी बौखलाहट में बीजेपी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।"

उन्होंने कहा, यह अजीब विडंबना है कि, जिस संविधान को हम सभी पूजते हैं। भाजपा उस संविधान की हत्या करना चाहती है। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लगाया गया। यह कदम असंवैधानिक नहीं था। हालांकि वो कालखंड देश के इतिहास का काला अध्याय था। लेकिन वो पहली बार नहीं हुआ था। 1962 और 71 के जंग में भी आपातकाल लगाया गया था।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, भाजपा ने उसी संविधान के तहत 356 का उपयोग कर कई बार राष्ट्रपति शासन लगाया है, वो भी एक तरह से आपातकाल ही होता है। संविधान और लोकतंत्र की हत्या पर पहला मुहर 25 मई 2014 को लगा था, जब नरेंद्र मोदी ने इस देश के प्रधानमंत्री पद के रूप में शपथ ली थी। पहला आर्थिक आपातकाल मोदी और भाजपा ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी करके लगाया। वो आर्थिक आपातकाल था, जब लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार कर दिए गए।

उन्होंने कहा, फिर कोरोना काल में आपातकाल की घोषणा हुई और बिना किसी तैयारी के नागरिक आपातकाल लगाया गया। लॉकडाउन के दौरान हजारों लोग काल की गाल में समा गए। तीन काले कृषि कानून लाकर किसानों पर आपातकाल लगाया गया। इस दौरान 13 महीने के आंदोलन में 750 लोग शहीद हुए।

---आईएएनएस

एससीएच/सीबीटी

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Created On :   13 July 2024 10:20 PM IST

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