पर्यावरण: ‘कावेरी कॉलिंग’ अभियान के नाम एक और उपलब्धि, 34,000 एकड़ भूमि पर लगाए 1.36 करोड़ पौधे

‘कावेरी कॉलिंग’ अभियान के नाम एक और उपलब्धि, 34,000 एकड़ भूमि पर लगाए 1.36 करोड़ पौधे
मशहूर भारतीय योगी और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु द्वारा शुरू की गई ‘कावेरी कॉलिंग’ पहल के नाम एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। ‘कावेरी कॉलिंग’ पहल के तहत कावेरी बेसिन क्षेत्र में 34,000 एकड़ भूमि पर 1.36 करोड़ पौधों को रोपित किया गया है।

कोयंबटूर, 5 जून (आईएएनएस)। मशहूर भारतीय योगी और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु द्वारा शुरू की गई ‘कावेरी कॉलिंग’ पहल के नाम एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। ‘कावेरी कॉलिंग’ पहल के तहत कावेरी बेसिन क्षेत्र में 34,000 एकड़ भूमि पर 1.36 करोड़ पौधों को रोपित किया गया है।

इस अभियान के तहत अब तक कुल 12.2 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं, जिससे 2.38 लाख किसानों को वृक्ष-आधारित कृषि अपनाने में मदद मिली है। पिछले एक साल में 50,931 किसानों और नागरिकों ने इस बड़े पैमाने के पर्यावरणीय प्रयास में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।

‘कावेरी कॉलिंग’ दुनिया का सबसे बड़ा किसान-प्रधान पर्यावरणीय अभियान है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों को बदलने की क्षमता रखता है। ‘कावेरी कॉलिंग’ को ट्रिलियन ट्रीज़: इंडिया चैलेंज द्वारा शीर्ष नवप्रवर्तक के रूप में सम्मानित किया गया है। यह अभियान 8.4 करोड़ लोगों की जीवनरेखा कावेरी नदी को पुनर्जीवित करने और निजी खेतों में 242 करोड़ पेड़ लगाकर किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। यह वृक्ष-आधारित कृषि को बढ़ावा देता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बेहतर करता है, पानी को संरक्षित करता है और नदी के पूरे साल बहाव को बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही किसानों की आय को बढ़ाता है।

सद्गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अभी, धरती और आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ी सेवा जो कोई भी कर सकता है, वह है मिट्टी को समृद्ध बनाना। उन 160 महिलाओं को बधाई और आशीर्वाद, जो खुशी-खुशी आज धरती की सबसे बड़ी जरूरत को पूरा कर रही हैं। उनके कार्यों को वैश्विक नीति-निर्माण के माध्यम से तत्काल बढ़ावा और समर्थन देना चाहिए, ताकि सेव सॉयल हो सके। यही इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है। आइए, इसे साकार करें।"

सद्गुरु ने कहा, "‘कावेरी कॉलिंग’ दुनिया को दिखाएगा कि सुनियोजित और रणनीतिक कार्रवाई से बंजर भूमि का कायाकल्प संभव है। मिट्टी और पानी से पोषित प्रत्येक व्यक्ति को इस आंदोलन का हिस्सा बनना चाहिए।"

कावेरी कॉलिंग के परियोजना निदेशक और सेव सॉयल आंदोलन के प्रतिनिधि आनंद एथिराजलु ने मिट्टी पुनर्जनन की तात्कालिकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "यूएनएफसीसीसी के सीओपी29 शिखर सम्मेलन और यूएनसीसीडी के सीओपी16 के दौरान हमने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक जलवायु वित्त का केवल 4 प्रतिशत ही कृषि और खाद्य प्रणालियों तक पहुंच रहा है। जलवायु परिवर्तन को वायुमंडल में नहीं, बल्कि मिट्टी में ठीक किया जा सकता है। वृक्ष-आधारित कृषि के माध्यम से मिट्टी पुनर्जनन पर अधिक ध्यान और निवेश आज की जरूरत है।"

इस अभियान की सफलता में ‘कावेरी कॉलिंग’ के उत्पादन केंद्र महत्वपूर्ण हैं। कुड्डालोर में विश्व की सबसे बड़ी एकल-स्थल नर्सरी 85 लाख पौधों की क्षमता रखती है, जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित है। तिरुवन्नमलई की नर्सरी 15 लाख पौधे पैदा करती है। ये नर्सरी तमिलनाडु में 40 और कर्नाटक में 10 वितरण केंद्रों को आपूर्ति करती हैं, जो टीक, रेड सैंडलवुड, रोजवुड और महोगनी जैसे 29 उच्च-मूल्य वाले लकड़ी प्रजातियों के पौधे मात्र 3 रुपए में उपलब्ध कराती हैं। बेंगलुरु के सद्गुरु सन्निधि नर्सरी ने दिसंबर 2023 से अब तक 1.3 लाख पौधों का रोपण किया है।

कावेरी कॉलिंग किसानों को नर्सरी और वितरण फ्रेंचाइजी चलाने के लिए प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करता है। ‘कावेरी कॉलिंग’ ने 32,000 से अधिक कृषि भूमियों का दौरा करने के लिए 160 से अधिक फील्ड अधिकारियों को तैनात किया, जो खेतों का दौरा कर मिट्टी, पानी और क्षेत्रीय परिस्थितियों के आधार पर मुफ्त परामर्श देते हैं। इसके अलावा, 225 से अधिक व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से 52,000 किसानों को वास्तविक समय में सलाह दी जाती है और 9 बजे सुबह से 9 बजे रात तक संचालित हेल्पलाइन 24-48 घंटों में सवालों का समाधान करती है।

2024 में अभियान ने 2 बड़े और 6 क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें 8,721 किसानों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र (एनआरसीबी), भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों ने वृक्ष-आधारित कृषि पर व्यावहारिक ज्ञान साझा किया।

2024 में विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून), वन महोत्सव सप्ताह (1-7 जुलाई), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) और विश्व मृदा दिवस (5 दिसंबर) जैसे अवसरों पर 506 रोपण कार्यक्रमों में 10 लाख पौधे रोपे गए।

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Created On :   5 Jun 2025 5:06 PM IST

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