भोपाल गैस हादसे की 41वीं बरसी बुधवार को, मोमबत्ती रैली निकली

भोपाल गैस हादसे की 41वीं बरसी बुधवार को, मोमबत्ती रैली निकली
मध्य प्रदेश की राजधानी में हुई दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक, यूनियन कार्बाइड हादसे की बुधवार को 41वीं बरसी है। इस मौके पर इस हादसे में जान गंवाने की याद में श्रृद्धांजलि सभा होगी। वहीं, पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले संयंत्र पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

भोपाल, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी में हुई दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक, यूनियन कार्बाइड हादसे की बुधवार को 41वीं बरसी है। इस मौके पर इस हादसे में जान गंवाने की याद में श्रृद्धांजलि सभा होगी। वहीं, पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले संयंत्र पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

हादसे की पूर्व संध्या पर मोमबत्ती रैली निकाली गई। भोपाल में यूनियन कार्बाइड से दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी। बड़ी संख्या में लोग बीमारियों की जद में आ गए थे। पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भी बीमारियों की चपेट में है। भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी बुधवार, तीन दिसंबर को बरकतउल्ला भवन सेंट्रल लायब्रेरी भोपाल में होगी। इसमें दिवंगत व्यक्तियों की स्मृति में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया जा रहा है।

प्रार्थना सभा में हिंदू, मुस्लिम, बोहरा, इसाई, सिख, जैन और बौद्ध संप्रदाय के धर्मगुरुओं द्वारा पाठ किया जाएगा। दिवंगत व्यक्तियों की स्मृति में सर्वधर्म प्रार्थना सभा में शहर के जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहेंगे। भोपाल में यूनियन कार्बाइड के जहरों से पीड़ितों के लिए काम करने वाली संस्था संभावना ट्रस्ट क्लीनिक की ओर से 1984 भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर ‘छोला गणेश मंदिर’ से मोमबत्ती रैली निकाली गई और यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने जेपी नगर में स्थित ‘गैस माता मूर्ति’ के पास गैस कांड के मृतकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

संभावना ट्रस्ट क्लीनिक में कम्युनिटी रिसर्च यूनिट के राधेलाल नापित ने कहा कि दिसंबर 1984 में यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैसों के संपर्क में आए लोग आज भी बेवक्त मर रहे हैं। चार दशक बीत जाने के बाद भी, दिसंबर 1984 के हादसे की वजह से भोपाल में मौतें हो रही हैं। जो लोग बचपन में इसके संपर्क में आए थे, वे फेफड़ों, किडनी और दूसरे अंगों की पुरानी बीमारियों और कैंसर से लंबे समय तक पीड़ित रहने के बाद 50 साल से कम उम्र में मर रहे हैं।

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Created On :   2 Dec 2025 9:32 PM IST

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