अगले साल सेना के जखीरे में होंगी 4.25 लाख सीक्यूबी कार्बाइन डीजी इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय इन्फैंट्री तेजी से एक तकनीक-संचालित, आत्मनिर्भर और चुस्त लड़ाकू बल में तब्दील हो रही है, जो 2047 तक विकसित भारत के विजन के अनुरूप है। यह बात बुधवार को एक अनौपचारिक मीडिया बातचीत में डीजी इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कही। उन्होंने आगे कहा कि युद्ध उधार के हथियारों से नहीं लड़े जाते।
उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण अभियान के तहत भारतीय सेना को अगले 4.25 लाख क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) कार्बाइन मिलने जा रही है। उन्होंने कहा कि इन 4.25 लाख सीक्यूबी खरीद की पूरी लागत 27,770 करोड़ रुपए है।
डीजी इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार के मुताबिक, कंपनियों को दो साल के भीतर सीक्यूबी की पूरी खेप की आपूर्ति करनी है। रक्षा मंत्रालय और कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स की सहायक कंपनी भारत फोर्ज और पीएलआर सिस्टम्स के बीच पिछले महीने 5.56×45 मिमी सीक्यूबी कार्बाइन के लिए करार हुआ था।
करार के मुताबिक भारत फोर्ज को 4.25 लाख सीक्यूबी कार्बाइनों में से 60 प्रतिशत की आपूर्ति करनी है, जबकि शेष की आपूर्ति अदाणी ग्रुप और इजराइल वेपन इंडस्ट्रीज (आईडब्ल्यूआई) के संयुक्त उद्यम पीएलआर सिस्टम्स द्वारा की जाएगी।
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि इन्फैंट्री भारतीय सेना की अग्रणी शक्ति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सेना 'परिवर्तन के दशक' पहल के तहत एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है, जिसका ध्यान आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और मानव संसाधन उत्कृष्टता पर केंद्रित है।
डीजी ने कहा कि भविष्य की इन्फैंट्री तकनीकी रूप से उन्नत, मॉड्यूलर और बहुमुखी होगी - जो बहु-क्षेत्रीय वातावरण में लड़ने और जीतने में सक्षम होगी।
27 अक्टूबर को शौर्य दिवस के उपलक्ष्य में महानिदेशक ने 1947 में श्रीनगर में 1 सिख रेजिमेंट की ऐतिहासिक हवाई लैंडिंग को याद किया, जिसने जम्मू और कश्मीर की रक्षा की थी।
उन्होंने कहा कि शौर्य दिवस इन्फैंट्री के शौर्य, बलिदान और अदम्य साहस को दर्शाता है, जो इतिहास को समकालीन मान्यता से जोड़ता है। ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक पर प्रकाश डालते हुए लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने सटीकता, संयुक्तता और तकनीक-संचालित युद्ध के महत्व पर जोर दिया।
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Created On :   22 Oct 2025 11:06 PM IST