डीएनए संरचना की खोज करने वाले 97 साल के जेम्स वॉटसन का निधन, रिसर्च से लेकर आलोचनाओं तक ऐसा था सफर

डीएनए संरचना की खोज करने वाले 97 साल के जेम्स वॉटसन का निधन, रिसर्च से लेकर आलोचनाओं तक ऐसा था सफर
डीएन संरचना की खोज करने वाले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जेम्स वॉटसन का 97 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें, डीएनए की खोज फ्रेडरिक मीशर ने 1869 में की थी। इसके बाद 1953 में जेम्स वॉटसन ने फ्रांसिसि क्रिक के साथ मिलकर डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज की।

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। डीएन संरचना की खोज करने वाले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जेम्स वॉटसन का 97 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें, डीएनए की खोज फ्रेडरिक मीशर ने 1869 में की थी। इसके बाद 1953 में जेम्स वॉटसन ने फ्रांसिसि क्रिक के साथ मिलकर डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज की।

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन ने अपनी इस खोज के साथ ही मेडिकल साइंस में एक नए रास्ते को जोड़ दिया। जिस वक्त जेम्स मेडिकल साइंस में क्रांति लिख रहे थे, उस दौरान उनकी उम्र महज 24 साल थी।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जेम्स ने डीएनए की संरचना पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "यह बहुत खूबसूरत है।"

उनका जन्म शिकागो में हुआ था और अपने करियर में उन्होंने काफी नाम कमाया। हालांकि, कुछ मामलों में जेम्स की काफी आलोचना भी हुई।

जेम्स वॉटसन को उनके सहयोगियों फ्रांसिस क्रिक और वैज्ञानिक मॉरिस विल्किंस के साथ 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दोनों सहयोगियों की 2004 में मौत हो गई।

जेम्स को रोजलिंड फ्रैंकलिन और उनके छात्र रेमंड गोसलिंग के एक्स-रे रिसर्च से काफी मदद मिली थी। हालांकि, बाद में फ्रैंकलिन की "द डबल हेलिक्स" नाम की एक किताब आई, जिसमें जेम्स की काफी आलोचना हुई थी। फ्रैंकलिन एक महिला वैज्ञानिक थीं, जिनकी उस दौर में खूब चर्चा हुई थी। 1958 में उनकी मौत हो गई।

वहीं दूसरी ओर, जेम्स ने ऐसे वक्तव्य भी दिए, जिन्हें लेकर व्यापक विवाद खड़ा हुआ था। इन बयानों की वजह से उनकी कड़ी आलोचना भी हुई। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के तत्कालीन निदेशक डॉ. फ्रांसिस कोलिन्स ने 2019 में कहा था, "मैं बस यही चाहता हूं कि समाज और मानवता पर जेम्स के विचार उनकी शानदार वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि से मेल खा सकें।"

डीएनए संरचना वॉटसन के जीवन की सबसे बड़ी खोज रही। इस खोज के बाद, वॉटसन ने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दो साल बिताए। फिर 1955 में हार्वर्ड में फैकल्टी के तौर पर शामिल हो गए। वैज्ञानिक मार्क पटाश्ने ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि 1976 में हार्वर्ड छोड़ने से पहले, उन्होंने यूनिवर्सिटी के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी प्रोग्राम की शुरुआत की थी। वॉटसन 1968 में कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैब के निदेशक, 1994 में इसके अध्यक्ष और 10 साल बाद इसके चांसलर पद की जिम्मेदारी संभाली।

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Created On :   8 Nov 2025 3:13 PM IST

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