समाज: एक बच्ची का प्यार बना लाखों सौतेली मांओं की पहचान का दिन, जानें 'स्टेप मदर्स डे' का इतिहास

नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। हाल ही में, 11 मई को पूरी दुनिया में मदर्स डे मनाया गया। यह दिन हर उस मां के लिए होता है जो अपने बच्चों को जन्म देती है और अब 18 मई को 'स्टेपमदर्स डे' मनाया जाएगा। यह दिन उन सौतेली मांओं के लिए है जो किसी बच्चे को जन्म तो नहीं देतीं, लेकिन उसे पूरे दिल से अपनाती हैं। यह दिन अमेरिका में मनाया जाता है। सौतेली मां के लिए बच्चों का भरोसा जीतना और मां जैसी भूमिका निभाना आसान नहीं होता। लेकिन फिर भी वह कोशिश करती हैं कि बच्चे कभी मां की कमी महसूस न करें। वह मां की जगह तो नहीं ले सकतीं, लेकिन मां जैसा प्यार और सहारा जरूर देती हैं।
स्टेपमदर्स डे हर साल मदर्स डे के बाद आने वाले रविवार को अमेरिका में मनाया जाता है। इस दिन का मकसद सौतेली मां को वह प्यार और सम्मान देना है, जिसकी वह हकदार हैं। यह रिश्ते को और मजबूत बनाता है। यह एक खूबसूरत तरीका है, यह दिखाने का कि परिवार में उनकी भूमिका कितनी अहम है।
सौतेली मां का सफर आसान नहीं होता। जब वह किसी नए परिवार में आती है, तो उसे बहुत कुछ समझना और अपनाना पड़ता है। बच्चों की दिनचर्या में ढलना पड़ता है। उन्हें बेहद प्यार और सहारा देना होता है। धैर्य से काम लेना होता है। सिर्फ बच्चों का नहीं, बल्कि पूरे घर का ध्यान रखना होता है।
स्टेप मदर्स डे की शुरुआत लगभग 20 साल पहले हुई थी। इस दिन को शुरू करने का विचार एक 9 साल की बच्ची को आया था, जिसका नाम लिजी कैपुजी था। लिजी अपनी सौतेली मां जॉयस से बहुत प्यार करती थी। इसके चलते उसका मानना था कि सौतेली मांओं के लिए भी मदर्स डे की तरह खास दिन होना चाहिए। लिजी ने अपने विचार को चिट्ठी में लिखकर सीनेटर रिक सेंटोरम को भेजा, जिन्होंने उनकी भावना को गंभीरता से लिया। साल 2000 में, इस विचार को आधिकारिक रूप से अमेरिका की संसद के दस्तावेज में दर्ज कर लिया गया।
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Created On :   17 May 2025 1:43 PM IST