बॉलीवुड: 'काश! मैंने आपके साथ वीडियो बनाई होती मां', अली फजल की पोस्ट में छलका दर्द

काश! मैंने आपके साथ वीडियो बनाई होती मां, अली फजल की पोस्ट में छलका दर्द
अपनी एक्टिंग के जरिए लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों पर खास जगह बनाने वाले 'गुड्डू भैया' यानि अली फजल आज इंडस्ट्री के टॉप एक्टर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी खास पहचान बनाई है। उन्होंने साल 2008 में हॉलीवुड फिल्म 'द अदर एंड ऑफ द लाइन' में काम किया था। वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। 11 मई को 'मदर्स डे' से पहले उन्होंने अपनी दिवंगत मां उज्मा सईद के नाम एक पोस्ट शेयर किया और बचपन की सुनहरी यादों को ताजा किया।

मुंबई, 9 मई (आईएएनएस)। अपनी एक्टिंग के जरिए लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों पर खास जगह बनाने वाले 'गुड्डू भैया' यानि अली फजल आज इंडस्ट्री के टॉप एक्टर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी खास पहचान बनाई है। उन्होंने साल 2008 में हॉलीवुड फिल्म 'द अदर एंड ऑफ द लाइन' में काम किया था। वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। 11 मई को 'मदर्स डे' से पहले उन्होंने अपनी दिवंगत मां उज्मा सईद के नाम एक पोस्ट शेयर किया और बचपन की सुनहरी यादों को ताजा किया।

अली फजल ने अपनी मां के साथ अपने गहरे रिश्ते और उनकी कमी को दिल से बयां किया है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने बचपन की एक अनदेखी तस्वीर शेयर की, जिसमें वह अपनी मां की गोद में बैठे हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ''आज मां की बहुत ज्यादा याद आ रही है। मुझे सोशल मीडिया पर ज्यादा पोस्ट करना पसंद नहीं है, लेकिन फिर भी ये तस्वीर शेयर की। मुझे अफसोस है कि मैंने मां के साथ ज्यादा फोटो और वीडियो नहीं बनाए। काश! मैंने तुम्हारे साथ वीडियो बनाए होते मां। मुझे लगता है कि प्रकृति धीरे-धीरे पुरानी यादों को नई यादों से भर देती है ताकि पुरानी बातें धुंधली हो जाएं। कोई याद समय के साथ क्यों फीकी पड़ जाती है? समय कैसे चीजों को पुराना बना देता है?''

उन्होंने आगे लिखा, ''हमने अब तक जैसा समझा है, वो ही सही माना है। कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को अलग रखकर नहीं सोचता। जैसे ट्रेन में बैठकर आप बाहर पेड़ देखते हैं, जो बहुत तेजी से निकल जाते हैं, लेकिन वह गति, वह अहसास, आपके साथ रह जाता है। यह तेज गति एक क्वांटम फिजिक्स जैसा है, यह मौजूद भी है और नहीं भी। दूसरी तरफ समय अपना काम ठीक से नहीं करता। समय बीतता रहता है, लेकिन जख्म नहीं भरते। हम समय की इस सच्चाई से बचने के लिए कहानियां, नाटक जैसी चीजों का सहारा लेते हैं। अब कल्पना कीजिए कि कोई इंसान, जिसे आप छू सकते थे, वो अब सिर्फ एक 'गति' बन जाए, तो कैसा लगेगा। अगर आप मुझसे पूछें तो यह बहुत बुरा एहसास है। इस सोच में थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन अगर ध्यान से समझें तो इसमें गहराई है।''

अली फजल की मां का 17 जून, 2020 को निधन हो गया था। वह कई तरह की बीमारियों से जूझ रहीं थीं।

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Created On :   9 May 2025 5:44 PM IST

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