आपदा: 20 जून ईरान का सबसे 'दर्दनाक' दिन, 1990 के भूकंप ने कहर बरपाया तो 1994 में बम विस्फोट से दहल गया था देश

नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। 20 जून इतिहास के पन्नों में ईरान के लिए 'दर्दनाक दिन' रहा है। ठीक इसी तारीख को दो अलग-अलग वर्षों में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिसे याद करके आज भी लोग सिहर जाते हैं।
20-21 जून 1990 की दरमियानी रात ईरान के मंजिल और रुदबार शहर में कैस्पियन सागर के पास आए 'रुडबार भूकंप' ने हजारों जानें लील ली थीं। यह इतिहास के उन शक्तिशाली भूकंप में से एक है, जिसने बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि की थी।
'अरेबियन प्लेट' और 'यूरेशियन प्लेट्स' के आपस में टकराने से देर रात 12 बजकर 30 मिनट पर भूकंप का जोरदार झटका लगा। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.7 थी। उस वक्त काफी लोग गहरी नींद में थे। वह बेफिक्र थे... आने वाले खतरे से अनजान! एक नई सुबह के इंतजार में सोए सैकड़ों लोगों की नींद इसके बाद कभी नहीं खुल सकी।
जब काली रात का साया खत्म हुआ, तो सुबह मंजिल और रुदबार शहर का मंजर भयावह था।
सड़कें खून से लाल थीं। लोग मलबों में दबे अपनों की तलाश कर रहे थे... भूकंप के कुछ घंटों बाद भी उनमें यह आस थी, शायद अभी भी उनका कोई अपना जिंदगी के लिए जूझ रहा हो।
जंजान और गिलान प्रात में 20 हजार वर्ग मील का क्षेत्र पूरी तरह से बर्बाद था। यहां मौजूद रिजॉर्ट पूरी तरह से तबाह थे। आलीशान इमारतें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं।
सुबह 6.5 की तीव्रता वाला एक और भूकंप आया, जिसके चलते रश्त में बना बांध भी टूट गया। बांध के टूटने से खेतों का बड़ा हिस्सा गायब ही हो गया। इस भूकंप से 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जबकि 1,35,000 से ज्यादा लोग घायल हुए। चार लाख से ज्यादा लोग इस आपदा के चलते बेघर होकर सड़कों पर आ चुके थे।
'नेशनल जियोफिजिल डेटा सेंटर' के मुताबिक इस भूकंप से ईरान को करीब आठ अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा था।
इस आपदा के बाद पूरी दुनिया से ईरान की मदद के लिए हाथ आगे बढ़े, लेकिन इस देश ने इजरायल और दक्षिण अफ्रीका की सहायता लेने से इनकार कर दिया।
'रुडबार भूकंप' के ठीक चार साल बाद यानि 1994 में एक और दर्दनाक घटना ने न सिर्फ ईरान, बल्कि पूरी दुनिया को दहला दिया। ईरान के मशहद शहर में इमाम रजा दरगाह पर प्रार्थना कक्ष में भारी संख्या के साथ लोग मौजूद थे। यह लोग हुसैन इब्न अली को याद करने के लिए जमा थे। इसी बीच एक जोरदार धमाका हुआ और चारों ओर अंधकार छा गया। आस-पास मौजूद लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले ही चारों तरफ शरीर के टुकड़े और खून फैला था। एक्सपर्ट्स के अनुसार यह बम 10 पाउंड टीएनटी के बराबर था।
इमाम रजा के मकबरे पर हुआ यह विस्फोट साल 1981 के बाद ईरान में हुआ सबसे भयानक आतंकवादी हमला था। ईरान में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी पवित्र स्थान को निशाना बनाया गया हो। इस हमले में 25 लोगों की मौत हुई, जबकि 70 लोग घायल हुए।
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Created On :   19 Jun 2025 4:00 PM IST