स्वास्थ्य/चिकित्सा: पेरिस ओलंपिक में एक गर्भवती एथलीट ने बदला नैरेटिव, क्या ये रिस्क जरूरी था? जानें चिकित्सक की राय

पेरिस ओलंपिक में एक गर्भवती एथलीट ने बदला नैरेटिव, क्या ये रिस्क जरूरी था? जानें चिकित्सक की राय
नदा हाफिज ने मिसाल कायम की। 7 महीने की गर्भवती ने तलवारबाजी में हिस्सा लिया और दुनिया को बताया कि हिम्मत का कोई विकल्प नहीं। मिस्र की इस खिलाड़ी ने पहला मैच जीता भी। दुनिया ने इनकी मुस्कुराती, आंसुओं से भीगी आंखें देखी। जिनमें उस अजन्मे बच्चे के प्रति आभार भी था और जीत की खुशी भी।

नई दिल्ली, 22 अगस्त, आईएएनएस। नदा हाफिज ने मिसाल कायम की। 7 महीने की गर्भवती ने तलवारबाजी में हिस्सा लिया और दुनिया को बताया कि हिम्मत का कोई विकल्प नहीं। मिस्र की इस खिलाड़ी ने पहला मैच जीता भी। दुनिया ने इनकी मुस्कुराती, आंसुओं से भीगी आंखें देखी। जिनमें उस अजन्मे बच्चे के प्रति आभार भी था और जीत की खुशी भी।

साल दर साल चीजें बदल रही हैं और प्रेग्नेंसी को लेकर नैरेटिव भी चेंज हो रहा है। सांस्कृतिक विविधता संपन्न हमारे देश में भी बदलाव को बाहें फैलाकर समेटा जा रहा है। सेलिब्रिटी हो या आम महिला अपनी गर्भावस्था को सहज भाव से ले रही हैं। करीना कपूर, ऋचा चड्ढा, दीपिका पादुकोण जैसी कलाकारों ने बताया है कि घबराकर या ओवर प्रोटेक्टिव होकर घर में बैठने का नाम प्रेग्नेंसी नहीं। लेकिन क्या जो नदा ने किया वो सब पर लागू होता है?

दिल्ली स्थित सीके बिड़ला अस्पताल (आर) के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख कंसल्टेंट के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान, खास तौर पर तीसरी तिमाही (थर्ड ट्राइमेस्टर) में, फिट और स्वस्थ रहने के लिए, नियमित, मध्यम, कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे कि चलना, तैरना या प्रसवपूर्व योग करना महत्वपूर्ण है। लेकिन ये भी मानती हैं कि हर गर्भावस्था अलग होती है, और हर व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें अलग-अलग होती है।

डॉक्टर तीसरी तिमाही के दौरान सक्रिय रहने की सलाह देते हैं, लेकिन आराम और समग्र स्वास्थ्य के आधार पर व्यायाम को समायोजित करने की सलाह भी देती हैं। कहती हैं, व्यक्तिगत ज़रूरतों के हिसाब से फिटनेस रूटीन को तैयार करने के लिए नियमित प्रसवपूर्व जांच जरूरी है। अगर जटिलताएँ आती हैं, तो माँ और बच्चे दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गतिविधि को कंट्रोल करना जरूरी है।

जैसा कि चिकित्सकों की राय है कि प्रेग्नेंसी एक अविस्मरणीय दौर है। इसे भरपूर जीना चाहिए, लेकिन स्पोर्ट्स से जुड़ी गतिविधियों को लेकर सजग भी रहना चाहिए। सबकी बॉडी और रिस्पॉन्स टाइमिंग अलग होती है इसलिए जरूरी यही है कि अपने शरीर को समझ कर एक्ट करें। किसी को देख कर या किसी से प्रभावित होकर एक्सपेरिमेंट से बचना चाहिए।

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Created On :   22 Aug 2024 3:59 PM IST

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